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प्रतिष्ठा उपयोगी विधियों का प्रचलित स्वरूप ...287
नव शिला स्थापना
नव शिलाओं की प्रतिष्ठा इस प्रकार करें
1. नन्दा- (1) 'ॐ आधार शिले! सुप्रतिष्ठिता भव' (2) 'ॐ पद्म! इहागच्छ, इह तिष्ठ, ॐ पद्म निधये नमः' (3) 'ॐ अग्नये नमः, ॐ शक्तये नमः' (4) 'ॐ नन्दे! इहाऽऽगच्छ, इह तिष्ठ, ॐ नन्दायै नमः'इन मन्त्रों के द्वारा पूर्ववत नन्दा नाम की शिला को आग्नेय कोण में स्थापित कर निम्न प्रार्थना करें
नन्दे! त्वं नन्दिनी पुंसां, त्वामत्र स्थापयाम्यहम् ।
प्रासादे त्विह संतिष्ठ, यावच्चन्द्रार्क तारकाः ।। 2. भद्रा- (1) 'ॐ आधार शिले! सुप्रतिष्ठिता भव' (2) 'ॐ महापद्म! इहागच्छ, इह तिष्ठ, ॐ महापानिधये नमः' (3) 'ॐ यमाय नमः, ॐ दण्डाय नमः' (4) 'ॐ भद्रे! इहागच्छ, इह तिष्ठ, ॐ भद्रायै नमः'- इन मंत्रों के द्वारा पूर्ववत भद्रा शिला को दक्षिण दिशा में स्थापित कर निम्न प्रार्थना करें
भद्रे! त्वं सर्वदा भद्रं, लोकानां कुरू काश्यपि ।
त्वामंत्र स्थापयाम्यद्य, प्रासादे भद्रदायिनी ।। 3. जया- (1) 'ॐ आधारशिले! सुप्रतिष्ठिता भव' (2) 'ॐ शंखे! इहागच्छ, इह तिष्ठ, ॐ शंखनिधये नमः' (3) 'ॐ नैऋतये नमः, ॐ खड्गाय नमः' (4) 'ॐ जये! इहागच्छ, इह तिष्ठ, ॐ जयायै नमः' - इन मंत्रों के द्वारा पूर्ववत जया शिला को नैर्ऋत्य कोण में प्रतिष्ठित कर निम्न प्रार्थना करें
गर्गगोत्रसमुद्भूतां, त्रिनेत्रां च चतुर्भुजाम् ।
प्रासादे स्थापयाम्यद्य, जयां चारू विलोचनाम् ।। 4. रिक्ता- (1) 'ॐ आधारशिले! सुप्रतिष्ठिता भव' (2) 'ॐ मकर! इहागच्छ, इह तिष्ठ, ॐ मकर निधये नमः' (3) 'ॐ वरूणाय नमः ॐ पाशाय नमः' (4) 'ॐ रिक्ते! इहागच्छ, इह तिष्ठ, ॐ रिक्तायै नमः' - इन मन्त्रों को पढ़ते हुए रिक्ता शिला को पश्चिम दिशा में स्थापित कर निम्न प्रार्थना करें
रिक्ते! त्वं रिक्त दोषघ्ने! ऋद्धिवृद्धिप्रदे! शुभे । सर्वदा सर्व दोषघ्ने! तिष्ठाऽस्मिन् तत्र नंदिनी ।।