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278... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन कूर्म प्रतिष्ठा विधि
खनन विधि करने के पश्चात खड्डा खोदते हुए जल दिख जाए तब किए गए गहरे खड्डे में मंगल ग्रह का यंत्र एवं कूर्म शिला को स्थापित करें। उस कूर्म शिला की पीठ के ऊपर जिन चैत्य का निर्माण करवाना चाहिए। इस प्रकार विधिवत निर्माण करवाया गया जिन चैत्य चिरस्थायी होता है। ऐसा चिरंजीवी जिनालय श्रीसंघ एवं समस्त नगर आदि के लिए अभ्युदय सूचक माना जाता है। ____ विधिमार्गप्रपा एवं कल्याणकलिका के अनुसार कूर्म स्थापना विधि निम्नानुसार है
• जिस स्थान पर कूर्म शिला की स्थापना करनी हो वहाँ शुभ मुहूर्त के दिन सबसे पहले पूर्व प्रतिष्ठित जिन प्रतिमा की स्नात्र पूजा करें, आरती उतारें, मंगलदीपक करें और उसके बाद चैत्यवन्दन करें।
यहाँ चैत्यवन्दन करते समय जिस तीर्थंकर के नाम से कूर्म प्रतिष्ठा का मुहर्त हो उन्हीं का चैत्यवंदन बोलें, अन्यथा पार्श्वनाथ प्रभु का चैत्यवंदन कहें। उसके बाद खड़े होकर तीन स्तुतियाँ कहने के पश्चात शान्तिनाथ की आराधना निमित्त अन्नत्थसूत्र कहकर एवं एक नमस्कार मन्त्र का कायोत्सर्ग करके निम्न स्तुति कहें
श्रीमते शान्तिनाथाय, नमः शान्ति विधायिने ।
त्रैलोक्यस्यामराधीश, मुकुटा भ्यर्चितांघ्रये ।।1।। फिर श्रुतदेवता की आराधना हेतु एक नवकार मन्त्र का कायोत्सर्ग कर निम्न स्तुति बोलें
यस्याः प्रसादमतुलं, संप्राप्य भवन्ति भव्यजननिवहाः ।
अनुयोगवेदिनस्तां, प्रयतः श्रुतदेवतां वन्दे ।।2।। फिर शान्ति देवयाए करेमि काउस्सग्गं, अन्नत्थसूत्र, एक नवकार का कायोत्सर्ग, नमोऽर्हत्. स्तुति बोलें
उन्मृष्टरिष्टदुष्ट-ग्रह गति, दुःस्वप्न दुर्निमित्तादि ।
संपादितहित सम्पन्नाम ग्रहणं जयति शान्तेः ।।3।। फिर शासन देवयाए करेमि काउस्सग्गं, अन्नत्थसूत्र, एक नवकार का कायोत्सर्ग, नमोऽर्हत्. स्तुति बोलें
या पाति शासनं जैनं, सद्यः प्रत्यूह नाशिनी । साभिप्रेत समृद्धयर्थं, भूयात् शासन देवता ।।4।।