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जिन प्रतिमा- प्रकरण ...187
शिल्प रत्नाकर, वास्तुसार प्रकरण, बृहत्संहिता, कल्याण कलिका आदि में मूर्ति निर्माण की स्वतन्त्र चर्चा की गई है। यहाँ विस्तार भय से केवल गर्भ गृह में किस आकार वाली प्रतिमा स्थापित की जानी चाहिए, उस सम्बन्ध में कहेंगे
1. गर्भगृह के अनुपात में प्रतिमा का आकार - प्रासाद मंडन के अनुसार गर्भ गृह की चौड़ाई इस प्रकार रखें कि चौड़ाई के दस भाग में गर्भ गृह बनायें तथा दो-दो भाग की दीवार बनायें।
गर्भगृह की चौड़ाई के तीसरे भाग के मान की प्रतिमा बनाना उत्तम है। इस मान का दसवाँ भाग घटा देने पर प्रतिमा का मध्यम मान आयेगा। यदि पांचवाँ भाग घटा दिया जाए तो प्रतिमा का कनिष्ठ मान आयेगा। 2
आचार दिनकर के मतानुसार प्रासाद के गर्भ गृह की भित्ति की लम्बाई के पाँच भाग करें, उसके प्रथम भाग में यक्ष की प्रतिमा को, द्वितीय भाग में देवियों की प्रतिमा को, तृतीय भाग में जिन, स्कन्दक, कृष्ण या सूर्य प्रतिमा को, चौथे भाग में ब्रह्मा की प्रतिमा को और पाँचवें भाग में शिव लिंग को स्थापित करें | 3
2. द्वार के अनुपात में प्रतिमा का आकार - यह गणना अनेक प्रकार से की जाती है । माप उत्तरंग से नीचे और देहली के ऊपर का लेना चाहिए। इसके गुणन की विधियाँ इस प्रकार हैं
1. प्रासाद मंडन के अनुसार द्वार की ऊँचाई के आठ या नौ भाग करें। ऊपर का एक भाग छोड़ दें। शेष भाग में पुनः तीन भाग करें। उनमें से एक भाग की पीठिका और दो भाग की प्रतिमा बनाना चाहिए | 24
2. दूसरी गणना के अनुसार द्वार की ऊँचाई के बत्तीस भाग करें। उनमें 14, 15, 16 भाग के मान की प्रतिमा खड्गासन में बनायें और पद्मासन (बैठी) मूर्ति 14, 13, 12 भाग की बनाना चाहिए | 5
3. तीसरी गणनानुसार द्वार की ऊँचाई के आठ भाग करें, ऊपर का एक भाग छोड़ दें, शेष सात भाग के तीन भाग करें। उनमें दो भाग की प्रतिमा और एक भाग का पबासन (प्रतिमा विराजमान करने की चौकी) बनायें।
4. चौथे माप के अनुसार द्वार की ऊँचाई के सात भाग करें, ऊपर का एक शेष छह भाग के तीन भाग करें। उसमें दो भाग की प्रतिमा
भाग छोड़ दें,
और एक भाग की पीठ रखें।
5. इसी तरह द्वार की ऊँचाई के छह भाग करें, ऊपर का एक भाग छोड़ शेष