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वास्तु पुरुष चित्र
आर्यमा
रोग
वायव्य
पश्चिम
पापराक्षसी
स्कदा
पापयक्षम
शेष
असुर
वरुण
पुष्पदल
सुग्रीव
दीवारिका
पूतना
गला
दोनों कंधे
दोनों स्तन
नाग मुख्य
हृदय
दाहिनी भुजा
बायीं भुजा दाहिना हाथ
रुद्र
मित्र
咁
जिनमन्दिर निर्माण की शास्त्रोक्त विधि... 163
भल्लाट कुबेर शैलं
पृथ्वीधर
रुद्रदास
उत्तर
इन्द्र
ब्रह्मा
वैवस्वान
गृहक्षत
अदिति
दिति ईश
आप पर्जन्या
आपवत्स
मरिचि
सावित्र
सविता
चरकी
पूषा
जय
इन्द्र
सूर्य
सत्य
भृश
आकाश
अग्नि
जम्भा
पीलीपच्छा
आपवत्स
इन्द्र, सूर्य, सत्य, भृश व आकाश नाग, मुख्य, भल्लाट, कुबेर, शैल सावित्र - सविता
ईशान
नैऋत्य
दक्षिण
वास्तु पुरुष मंडल में स्थित देवों के नाम
प्रासाद मंडन के अनुसार वास्तु मंडल में 45 देवों की उपस्थिति रहती है
उनकी दिशा एवं पुरुष के अंगोपांग स्थान पर इस प्रकार हैं
ईशान कोण में
ईश
दोनों कान पर
पर्जन्यदिति
आप
दिति-अदिति आर्यमा-पृथ्वीधर
विदारिका
पूर्व
आग्नेय