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अध्याय-5 मन्दिर निर्माण का मुहूर्त विचार
जिनालय का निर्माण कार्य श्रेष्ठ मुहूर्त में प्रारम्भ करना आवश्यक है जिससे वह कार्य द्रुत गति से निर्विघ्न सम्पन्न हो सके। यह मुहूर्त प्रतिष्ठाचार्य
अथवा ज्योतिर्विद मुनि भगवन्त आदि से परामर्श करके उन्हीं के द्वारा निकलवाना चाहिए। जब मुहूर्त का निर्णय हो जाये तब शास्त्र वर्णित विधि के अनुसार चतुर्विध संघ की उपस्थिति में निर्माण कार्य शुरू करना चाहिए। खनन मुहूर्त मन्दिर प्रारम्भ हेतु राशिगत सूर्य का फल ___ मन्दिर निर्माण आरंभ करते समय सूर्य किस राशि में है यह निर्णय करने के पश्चात ही मुहूर्त निकालना चाहिए।
राशियों पर सूर्य का फल इस प्रकार कहा गया है1. मिथुन, कन्या, धनु और मीन- इन राशियों पर सूर्य हो तो मन्दिर प्रारम्भ
नहीं करें। 2. मेष, वृषभ, तुला और वृश्चिक- इन राशियों पर सूर्य हो तो पूर्व-पश्चिम द्वार वाले मन्दिर प्रारम्भ न करें, किन्तु उत्तर-दक्षिण द्वार वाले मन्दिर
आरम्भ कर सकते हैं। 3. कर्क, सिंह, मकर और कुम्भ-इन राशियों पर सूर्य हो तब उत्तर-दक्षिण
द्वार वाले मन्दिर प्रारम्भ न करें, परन्तु पूर्व-पश्चिम दिशा वाले मन्दिरों
का निर्माण शुरू कर सकते हैं। मूलनायक की राशिगत सूर्य का फल
जिस दिन मन्दिर निर्माण का कार्य प्रारम्भ करना हो उस दिन मूलनायक की राशि से किस राशि पर सूर्य है, यह देखना जरूरी है। जब सूर्य बलवान हो तभी जिनालय बनवाने का कार्य शुरू करना चाहिए।
मूलनायक भगवान की नाम राशि से अन्य राशियों पर स्थित सूर्य निम्न