SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 214
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 148... पूजा विधि के रहस्यों की मूल्यवत्ता - मनोविज्ञान एवं अध्यात्म... • इक्षुरस आदि से प्रक्षाल करने के बाद प्रतिमाजी को पुन: शुद्ध जल से साफ करना चाहिए। • एक हाथ में कलश लेकर परमात्मा का अभिषेक नहीं करना चाहिए। कलश को दोनों हाथों से अहोभावपूर्वक पकड़ना चाहिए। • अंगलूंछन करते हुए पसीना आदि आए तो गर्भगृह के बाहर आकर पसीना सुखा देना चाहिए। प्रतिमाजी के ऊपर पसीने की बूंद गिरने या न्हवण में मिश्रित होने पर आशातना लगती है। • अभिषेक करते हुए घंटा, शंख आदि मधुर वाद्यों के नादपूर्वक हर्ष अभिव्यक्त करना चाहिए। • बासी दूध, पैकेट का दूध या पाउडर का दूध प्रक्षाल हेतु सर्वथा निषिद्ध है। • अंगलूंछण एवं पाटलूंछण वस्त्रों को हर रोज धोकर एक अलग डोरी पर सुखाना चाहिए। • नीचे गिरे हुए अंगलूंछण वस्त्र का बिना धोए प्रयोग नहीं करना चाहिए। • आंगी की हुई प्रतिमा का प्रक्षाल उसी दिन दुबारा तभी करना चाहिए जब उससे अधिक सुन्दर आंगी बनाने का सामर्थ्य हो। • न्हवण जल को यदि कुछ दिनों तक रखना हो तो उसमें उचित मात्रा में कपूर अवश्य डालना चाहिए। • प्रतिमा के निर्माल्य पुष्प न्हवण जल में नहीं डालने चाहिए। • न्हवण करते समय सभी को पहले दूध से और फिर जल से प्रक्षाल करना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति के द्वारा बार-बार दूध और जल का प्रक्षाल करना उचित नहीं है। चन्दन पूजा सम्बन्धी सावधानियाँ • चंदन पूजा करते हुए नाखून में चंदन न जाए इसका ध्यान रखना चाहिए। यदि नाखुन में गई हुई केशर भोजन के साथ पेट में चली जाए तो देवद्रव्य भक्षण का दोष लगता है। • परमात्मा के नवअंग के अतिरिक्त हथेली, लंछन आदि की पूजा नहीं करनी चाहिए।
SR No.006250
Book TitlePuja Vidhi Ke Rahasyo Ki Mulyavatta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages476
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy