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विषयानुक्रमणिका अध्याय-1 : प्रतिक्रमण आवश्यक का स्वरूप विश्लेषण
1-23 1. प्रतिक्रमण शब्द का अर्थ विन्यास 2. प्रतिक्रमण की विभिन्न परिभाषाएँ 3. प्रतिक्रमण के एकार्थवाची नाम 4. प्रतिक्रमण के प्रकार। अध्याय-2 : प्रतिक्रमण के गूढ़ रहस्यों का विविध पक्षीय अनुसंधान
24-78 1. प्रतिक्रमण क्रिया आवश्यक क्यों? • क्रोध आदि कषायों का निराकरण करने के लिए . मिथ्यात्व आदि दोषों का प्रक्षालन करने के लिए . भलों का संशोधन करने के लिए • सम्यग्दर्शन आदि की पुष्टि के लिए • पाप कर्मों का क्षय करने के लिए। ____ 2. प्रतिक्रमण कौन, किसका करें? 3. प्रतिक्रमण कब किया जाए? 4. अतिचार के हेतु 5. असंभव अतिचारों का प्रतिक्रमण क्यों? 6. प्रतिक्रमण प्रतिदिन करना जरूरी क्यों? 7. छह आवश्यक रूप क्रिया को प्रतिक्रमण की संज्ञा क्यों दी गई? 8. प्रतिक्रमण क्रिया के प्रति भावोल्लास कैसे उत्पन्न करें? 9. षडावश्यक में प्रतिक्रमण का महत्त्व सर्वाधिक क्यों? 10. प्रतिक्रमण को आवश्यक क्यों कहा गया? 11. प्रतिक्रमण सूत्रों के रचयिता कौन? 12. सर्वप्रथम प्रतिक्रमण के सूत्रों का ही ज्ञान क्यों हो? 13. प्रतिक्रमण की चार भूमिकाएँ 14. षडावश्यक क्रम की स्वाभाविकता एवं रहस्यमयता 15. आवश्यक क्रिया की आध्यात्मिकता 16. प्रतिक्रमण का अधिकारी और उसका विधि विमर्श 17. प्रतिक्रमण और शुद्धि। ___18. प्रतिक्रमण का वैशिष्ट्य . दस कल्प की दृष्टि से . प्रायश्चित्त की दृष्टि से • लौकिक-लोकोत्तर दृष्टि से • मैत्री आदि भावनाओं की दृष्टि से . विविध दृष्टियों से 19. विविध मूल्यों के सन्दर्भ में प्रतिक्रमण की प्रासंगिकता 20. प्रतिक्रमण का हार्द 21. प्रतिक्रमण के लाभ 22. प्रतिक्रमण याद करने के