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________________ प्रतिक्रमण विधियों के प्रयोजन एवं शंका-समाधान ...207 समाधान- श्वेताम्बर परम्परा के श्रमण प्रतिक्रमण और श्रावक प्रतिक्रमण में मुख्य भेद अणुव्रतों एवं महाव्रतों के अतिचार पाठों को लेकर है। श्रमण प्रतिक्रमण का मूल आधार आवश्यकसूत्र है तथा श्रावक प्रतिक्रमण का मुख्य आधार उपासकदशासूत्र है। आवश्यकसूत्र में वर्णित इरियावहि, अन्नत्थ, लोगस्स, प्रत्याख्यान पाठ आदि कुछ सूत्र ऐसे हैं, जो दोनों के लिए प्रतिक्रमण हेतु उपयोगी हैं, यद्यपि प्रतिक्रमण आवश्यक का मूलपाठ श्रमण की अपेक्षा से ही कहा गया है। उपासकदशासूत्र में पाँच अणुव्रतों तीन गुणव्रतों और चार शिक्षाव्रतों का स्वरूप एवं उनके अतिचारों का उल्लेख किया गया है, जो मूलतः श्रावक प्रतिक्रमण से ही सम्बन्धित है। शंका- प्रतिक्रमणसूत्र में प्रायश्चित्त का पाठ कौनसा है? . समाधान- देवसिय-पायच्छित्त-विसोहणत्यं करेमि काउस्सग्गंअर्थात मैं दिवस सम्बन्धी प्रायश्चित्त की शुद्धि के लिए कायोत्सर्ग करता हूँ। शंका- गृहस्थ प्रतिक्रमण के सूत्रों में उपसंहार सूत्र कौनसा है? समाधान- 'तस्स धम्मस्स केवलिपन्नतस्स' का पाठ है। शंका- प्रतिक्रमण का मूल उद्देश्य कृत दोषों का शोधन करना है, इस अपेक्षा से प्रतिक्रमण का मुख्य सम्बन्ध अतिचारों से है, तब सामायिक ग्रहण किए बिना भी अतिचारों का प्रतिक्रमण क्यों नहीं किया जा सकता? समाधान- जैनागमों में सामायिक पूर्वक ही प्रतिक्रमण करने की आज्ञा है किन्तु आपवादिक स्थितियों जैसे ट्रेन आदि में यात्रा करते हुए संवर पूर्वक भी प्रतिक्रमण किया जा सकता है। दोनों में अन्तर यह है कि सामायिक में सावध प्रवृत्ति का दो करण-तीन योग से त्याग होता है, जबकि संवर के द्वारा एक करण और एक योग से भी सावध प्रवृत्ति का त्याग किया जा सकता है तथा उसमें ट्रेन आदि द्वारा गमनागमन की छूट रख सकते हैं। शंका- जीवादि नवतत्त्वों में प्रतिक्रमण का अन्तर्भाव किसमें हैं? समाधान- प्रतिक्रमण प्रायश्चित्त का एक प्रकार है और प्रायश्चित्त की गणना आभ्यन्तर तप के छ: भेदों में की गई है। 'तपसा निर्जरा च'- तप से संवर और निर्जरा होती है इस प्रकार प्रतिक्रमण का समावेश संवर और निर्जरा तत्त्व में होता है। शंका- यदि हम प्रतिदिन प्रतिक्रमण करते हैं और उसके पश्चात पुन:
SR No.006249
Book TitlePratikraman Ek Rahasyamai Yog Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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