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प्रतिक्रमण की मौलिक विधियाँ एवं तुलनात्मक समीक्षा ...137 सामायिक आवश्यक में खड़े होकर प्रतिक्रमण प्रतिज्ञा, नमस्कार सूत्र, मंगल सूत्र, सामायिक प्रतिज्ञा, प्रायश्चित्त सूत्र एवं कायोत्सर्ग प्रतिज्ञा का पाठ बोलकर कायोत्सर्ग करें। कायोत्सर्ग में निम्न सूत्रों का चिन्तन करें
ज्ञान के अतिचार, दर्शन के अतिचार, चारित्र के अतिचार, संलेखना के अतिचार, पापस्थान, प्रायश्चित्त सूत्र, फिर नमस्कार सूत्र कहकर ध्यान पूर्ण करें।
द्वितीय आवश्यक- तत्पश्चात ‘मत्थएण वंदामि द्वितीय चतुर्विंशतिस्तव आवश्यक की आज्ञा'- ऐसा कहकर चतुर्विंशतिस्तव पाठ का उच्चारण करें।
तृतीय आवश्यक- उसके बाद 'मत्थएण वंदामि तृतीय वंदना आवश्यक की आज्ञा'- ऐसा कहकर दो बार सुगुरु वंदना सूत्र का विधिवत उच्चारण करें। .. चतुर्थ आवश्यक- उसके पश्चात ‘मत्थएण वंदामि चतुर्थ प्रतिक्रमण आवश्यक की आज्ञा'- ऐसा कहें। फिर दायें घुटने को ऊँचा रखते हुए दोनों हाथ जोड़कर निम्न पाठों का उच्चारण करें
1. आलोचनासूत्र (सव्वस्सवि देवसिय), 2. प्रायश्चित्तसूत्र (इच्छामिठामि), 3. ईर्यापथिकसूत्र (इरियावहि), 4. ज्ञान, दर्शन, चारित्र का स्वरूप एवं उनके अतिचार (चारित्र के अन्तर्गत बारहव्रत का स्वरूप और उनके अतिचार पाठों का समावेश होता है) 5. संलेखना का स्वरूप और उसके अतिचार का पाठ 6. अभ्युत्थान सूत्र में ‘अब्भुट्ठिओमि' शब्द आते ही खड़े होकर 'विरओमि विराहणाए' आदि शेष पाठ कहें। उसके बाद खड़े रहकर क्षमायाचना सूत्र एवं जीव योनि का पाठ कहें।
पंचम आवश्यक- तदनन्तर 'मत्थएण वंदामि पंचम कायोत्सर्ग आवश्यक की आज्ञा'- ऐसा कहें। फिर खड़े होकर कायोत्सर्ग संकल्प सूत्र, प्रायश्चित्त सूत्र एवं कायोत्सर्ग प्रतिज्ञा पाठ बोलकर चार लोगस्स का कायोत्सर्ग करें। फिर नमस्कार सूत्र कहकर लोगस्ससूत्र का प्रकट उच्चारण करें तथा एक बार 'वंदन सूत्र' के पाठ का उच्चारण करें।
षष्ठम आवश्यक- तत्पश्चात “मत्थएण वंदामि षष्ठम प्रत्याख्यान आवश्यक की आज्ञा'- ऐसा कहें। उसके बाद अतीत का प्रतिक्रमण, वर्तमान काल की सामायिक और भविष्य काल का प्रत्याख्यान करता हूँ, ऐसा कहकर यथाशक्ति दैवसिक और रात्रिक में एक दिन तक, पाक्षिक में एक पक्ष तक,