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________________ 124... प्रतिक्रमण एक रहस्यमयी योग साधना पडिक्कमावेहा' तदनु शिष्य कहे- 'भगवन्! देवसियं आलोइयं पडिक्कंता पक्खियं पडिक्कमुं?' गुरु कहे- 'सम्मं पडिक्कमेह। तब शिष्य ‘इच्छं- सम्म पडिक्कमामि' कहकर करेमि भंते सूत्र एवं इच्छामि ठामि सूत्र पढ़ें। • तत्पश्चात पाक्षिक सूत्र बोलने के लिए मुनि एक खमासमण देकर कहे- 'इच्छा. संदि. भगवन्! पक्खिय सुत्तं संदिसावेमि?' गुरु कहे'संदिसावेह।' फिर दूसरा खमासमण देकर कहे- 'इच्छा. संदि. भगवन्! पक्खिय सुत्तं कड्डेमि?' गुरु कहे- 'कड्ढेह' • उसके बाद अनुज्ञा प्राप्त मुनि 'इच्छं' पूर्वक तीन नवकार मन्त्र कहकर पाक्षिकसूत्र बोलें। शेष साधु एवं श्रावक तस्स उत्तरी एवं अन्नत्थ सूत्र कहकर पक्खीसूत्र को कायोत्सर्ग मुद्रा में सुनें। यदि कायोत्सर्ग मुद्रा में स्थिर रहने का सामर्थ्य न हो तो बैठकर भी सुन सकते हैं किन्तु अन्त में सभी 'नमो अरिहंताणं' पूर्वक कायोत्सर्ग पूर्णकर ऊर्ध्व स्थित (खड़ी) मुद्रा में ही तीन नवकार मन्त्र गिनकर बैठे। • यदि गुरु का योग न हो तो श्रावक तीन नवकार कहकर वंदित्तुसूत्र बोलें। • पक्खीसूत्र के पश्चात साधु-साध्वी तीन नवकार, तीन करेमि भंते, चत्तारि मंगलं, इच्छामि पडिक्कमिउं जो मे पक्खिओ, इच्छामि पडिक्कमिउं इरियावहियाए और पगामसिज्झाय इत्यादि सूत्र बोलें तथा गृहस्थ तीन नवकार, तीन करेमि भंते, इच्छामि ठामि और वंदित्तुसूत्र कहें। पाक्षिक दोष शुद्धि कायोत्सर्ग- तदनन्तर एक खमासमण देकरमूलगुण-उत्तरगुण अतिचारविशुद्धि निमित्तं काउसग्गं करूँ? इच्छं' कहकर करेमि भंते., इच्छामि ठामि., तस्स उत्तरी. एवं अन्नत्थसूत्र बोलकर बारह लोगस्स अथवा अड़तालीस नवकार का कायोत्सर्ग करें। पूर्णकर प्रकट में लोगस्स कहें। समाप्ति क्षमायाचना- तत्पश्चात नीचे बैठकर एवं मुखवस्त्रिका का प्रतिलेखन कर स्थापनाचार्य को द्वादशआवर्त से वन्दन करें। उसके बाद 'इच्छा. संदि. भगवन्! समाप्ति खामणेणं अब्भुट्ठिओमि अब्भिंतर पक्खियं खामेऊँ? इच्छं, खामेमि पक्खिअं सूत्र' पूर्ववत बोलें। उसके बाद पुन: ‘इच्छा. संदि. भगवन्! पक्खी खामणा खाD?' गुरु-खामेह, शिष्य- 'इच्छं' कह चार बार पक्खी समाप्ति क्षमायाचना करें। समाप्ति क्षमायाचना करने के लिए सभी जन एक खमासमण देकर, घुटनों के बल स्थित हो, बायें हाथ से मुखवस्त्रिका को
SR No.006249
Book TitlePratikraman Ek Rahasyamai Yog Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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