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________________ कायोत्सर्ग आवश्यक का मनोवैज्ञानिक अनुसंधान ...291 हे आत्मन्! इस जीव के द्वारा अतिचार लगने का मुख्य कारण उपयोग शून्यता है इसलिए चित्तवृत्ति की चंचलता समाप्त करने के लिए उद्यमशील बन। हे आत्मन्! चित्त की वृत्तियाँ कैसे चंचल बनती है, उसका विचार कर। तुमने गुरु मुख से आत्मस्वरूप का श्रवण किया है, परन्तु उसके अनुरूप मनन और निदिध्यासन नहीं किया है। इसीलिए चित्तवृत्तियाँ बहिर्मुखी होती हैं। अब पुनः पुनः आत्मस्वरूप का चिंतन कर और उसके लिए कायोत्सर्ग का आलम्बन लें। हे आत्मन्! कायोत्सर्ग के अभ्यास से मन की चंचलता पर विजय प्राप्त की जा सकती है, समिति व गुप्ति में यतनापूर्वक प्रवृत्ति की जा सकती है तथा चारित्र का निरतिचार पालन किया जा सकता है। अत: कायोत्सर्ग का अभ्यास कर। तीर्थंकर पुरुषों ने कायोत्सर्ग को सर्व दुःखों से मुक्त करने वालासव्वदुक्ख-विमोक्खणं कहा है, इस तत्त्व का बार-बार स्मरण करते हुए उसमें प्रवृत्ति कर। ___हे आत्मन्! अरिहंत परमात्मा ने कहा है- जो शल्य से युक्त है वह व्रतधारी नहीं हो सकता है। अत: तूं सूक्ष्म चिंतन द्वारा शल्य का शोधन कर उसे दूर कर दें।73 4. विशल्लीकरण- मिथ्यात्व शल्य, माया शल्य और निदान शल्य को दूर करने वाली क्रिया। जिस वस्तु के शरीर में प्रवेश होते ही शरीर कम्पित होता है, पीड़ित होता है उसे शल्य कहते हैं। भाला, तीर, कील, कांटा, विष आदि पीड़ा उत्पन्न करते हैं इस कारण शल्य कहलाते हैं। चैत्यवंदन महाभाष्य के अनुसार शल्य दो प्रकार के होते हैं- 1. द्रव्यशल्य और 2. भावशल्य। कंटक आदि द्रव्य शल्य है और अतिचार या अनालोचित पाप भावशल्य है। कंटक आदि द्रव्य शल्य से रहित व्यक्ति इस भव में सुखी होता है, जबकि अतिचार रूपी भावशल्य से रहित साधक उभय लोक में सुखी होता है। शल्य सहित आत्मा हजारों वर्षों तक उग्र और घोर तपस्या का आचरण करें, तो भी निष्फल जाता है।74 __ शरीर में घाव हो और उसमें से पीप निकल रहा हो तो उसे वस्त्रादि द्वारा पोंछने मात्र से या डीटोल आदि द्वारा साफ करने मात्र से रूक नहीं जाता हैं, उसे रोकने के लिए विशेष चिकित्सा करनी होती है। यही प्रक्रिया अतिचार निवारण के लिए भी समझनी चाहिए।
SR No.006248
Book TitleShadavashyak Ki Upadeyta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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