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________________ कायोत्सर्ग आवश्यक का मनोवैज्ञानिक अनुसंधान ... 253 अनुसार सोने, बैठने या खड़े रहने के समय जो भिक्षु काया को हिलाता - डुलाता नहीं है, उसके द्वारा कायिक चेष्टा का जो परित्याग किया जाता है वह कायोत्सर्ग (व्युत्सर्ग) है।2 दशवैकालिकसूत्र में कहा गया है कि जो बार - बार शरीर का व्युत्सर्ग और त्याग करता है उसे व्युत्सृष्ट - त्यक्तदेह कहा जाता है। 3 आगमिक व्याख्याकारों ने भी कायोत्सर्ग को प्राय: 'व्युत्सर्ग' संज्ञा प्रदान की है । दशवैकालिक चूर्णिकार के अभिमत से अभिग्रह और प्रतिमा स्वीकार शारीरिक क्रिया का त्याग करना व्युत्सर्ग (कायोत्सर्ग) है।4 दशवैकालिक टीका के अनुसार शरीर के प्रति ममत्व का अभाव होना व्युत्सर्ग और शरीर की विभूषा नहीं करना त्याग है। 5 उत्तराध्ययन टीका में आगमोक्त नीति अनुसार शारीरिक क्रियाओं का निरोध एवं ममत्व विसर्जन करने को कायोत्सर्ग बतलाया है। " आचार्य वट्टकेर के अनुसार शरीर से ममत्व का त्याग करना और जिनेन्द्रदेव के गुणों का चिन्तवन करना कायोत्सर्ग है। 7 मूलाचार में कायोत्सर्ग के लिए व्युत्सर्ग शब्द का प्रयोग हुआ है। इसमें कायोत्सर्ग का स्वरूप व्याख्यायित करते हुए कहा गया है कि दैवसिक, रात्रिक, पाक्षिक, चातुर्मासिक और वार्षिक आदि निश्चित क्रियाओं में शास्त्रोक्त उच्छ्वास की गणना से नमस्कार मंत्र पूर्वक जिनेश्वर गुणों के चिन्तन में तद्रूप होकर देह ममत्व का त्याग करना कायोत्सर्ग है। नियमसार में इसकी आध्यात्मिक व्याख्या उपदर्शित करते हुए कहा गया है कि शरीर आदि पर द्रव्यों में स्थिर बुद्धि का परित्याग कर आत्मा का निर्विकल्प रूप से ध्यान करना कायोत्सर्ग है। 10 राजवार्तिककार के अनुसार परिमित काल के लिए शरीर से ममत्व का त्याग करना कायोत्सर्ग है। 11 आचार्य अमितगति ने परमार्थ कायोत्सर्ग का अधिकारी उसे बतलाया है जो देह को अचेतन, नश्वर एवं कर्म निर्मित समझकर उसके परिपोषण के प्रयोजन से कोई कार्य नहीं करता है। 12 कायोत्सर्ग को कायिक ध्यान, काय गुप्ति, काय विवेक, काय व्युत्सर्ग और काय प्रतिसंलीनता भी कहा जाता है। 13 समाहारतः बाह्य रूप से क्षेत्र, वास्तु, धन-धान्य आदि का और आभ्यन्तर रूप से कषाय आदि का त्याग करना अथवा नियत और अनियत काल के लिए देहानुराग का त्याग करना कायोत्सर्ग है।
SR No.006248
Book TitleShadavashyak Ki Upadeyta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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