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________________ वन्दन आवश्यक का रहस्यात्मक अन्वेषण ...233 वन्दन क्रिया के स्वरूप से परिचित हो पाएगा एवं अपने भीतर सद्गुणों का सर्जन कर पाएगा। सन्दर्भ-सूची 1. आवश्यक हारिभद्रीय टीका, पृ. 14 2. 'वदि अभिवादनस्तुत्योः' इति कायेन अभिवादने वाचा स्तवने। आवश्यकचूर्णि, पृ. 14 3. विधिना कायवाङ्मनः प्रणिधाने। प्रवचनसारोद्धार, द्वार 2 की टीका 4. शिरसाऽभिवादने। धर्मसंग्रह, अधिकार 2 5. वन्दनीयगुणानुस्मरणं मनोवन्दना..... कृतानतिश्च। भगवती आराधना, गा. 511 की टीका, पृ. 381 6. वही, गा. 118 की टीका, पृ. 154 7. एयस्स तित्थयरस्स णमंसणं वंदणा णाम। कषायपाहुड, 1/1-1/86/111/5 8. धवला टीका, 8/3.41/84/3 9. वही, 8/3.42/92/5 10. योगसार प्राभृत, 5/49 11. जैन,बौद्ध और गीता के आचार दर्शनों का तुलनात्मक, भा.2, पृ. 397 12. वंदणचिइकिइकम्मं, पूयाकम्मं च विणयकम्मं च । कायव्वं कस्स व केण, वावि काहे व कइखुत्तो॥ (क) आवश्यकनियुक्ति, 1103 वंदणयं चिइकम्मं किइकम्म, विणयकम्म पूअकम्मं । गुरुवंदण पण नामा, दव्वे भावे दुहाहरणा ॥ (ख) गुरुवंदनभाष्य, गा. 10 किदियम्मं चिदियम्मं, पूयाकम्मं च विणयकम्मं च । कादव्वं केण कस्स व, कधे व कहिं व कदिखुत्तो॥ (ग) मूलाचार, 7/578 वंदणचिइकिइकम्मं, पूयाकम्मं च विणयकम्मं च। वंदणयस्स इमाई, हवंति नामाइं पंचेव ॥ (घ) प्रवचनसारोद्धार, 2/127 13. वन्दनकर्म द्विधा-द्रव्यतो भावतश्च........ विनयक्रियेति
SR No.006248
Book TitleShadavashyak Ki Upadeyta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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