SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 190
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 132...षडावश्यक की उपादेयता भौतिक एवं आध्यात्मिक सन्दर्भ में 5. चउवीस जिणत्थय-चतुर्विंशजिनस्तव • चैत्यवंदन महाभाष्य, गा. 389 6. उज्जोअ-उद्योत • योगशास्त्र स्वोपज्ञ विवरण, पत्र 248 आ 7. उज्जोअगर-उद्योतकर योगशास्त्र स्वोपज्ञ विवरण, पत्र 248 आ 8. उज्जोयगर-उद्योतकर • विधिमार्गप्रपा, पृ. 7 • पाक्षिकसूत्रवृत्ति, पत्र 72 अ 9. नामथय-नामस्तव • देववंदन भाष्य 10. नामजिणत्थय-नामजिनस्तव • धर्मसंग्रह, पत्र 158 अ संस्कृत नाम 11. चतर्विंशतिस्तव • आचारांगसूत्र टीका,पत्र 75 आ • उत्तराध्ययनसूत्र टीका, पत्र 504 • अनुयोगद्वार टीका, पत्र 44 आ • ललित विस्तरा, पृ. 42 • योगशास्त्र स्वोपज्ञ विवरण, पत्र 224 • वृंदारूवृत्ति, पृ. 40 आ • देववन्दन भाष्य, पृ. 320 • धर्मसंग्रह, पत्र 158 अ 12. चतुर्विंशति जिनस्तव • देववंदन भाष्य, पृ. 327 13. नामस्तव • देववंदन भाष्य, पृ. 321 __क्वचित ग्रन्थों में इन नामों में से दो-तीन नाम युगपद भी मिलते हैं जैसेविधिमार्गप्रपा, योगशास्त्रटीका आदि में उज्जोअगर, उज्जोयगर, चउवीसत्थय, नामथय आदि एकार्थवाची नामों का अनेक बार उल्लेख हुआ है। चतुर्विंशतिस्तव का प्रतीकात्मक अर्थ चतुर्विंशतिस्तव सात गाथाओं में निबद्ध है। इसकी गाथा संख्या सात का प्रतीकात्मक रहस्य यह है कि हम जिस लोक में स्थित हैं वह चौदह रज्जू
SR No.006248
Book TitleShadavashyak Ki Upadeyta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy