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126...षडावश्यक की उपादेयता भौतिक एवं आध्यात्मिक सन्दर्भ में
143. त्यक्तातरौद्रध्यानस्य, त्यक्तसावद्यकर्मणः । मुहूर्तं समता या तां, विदु:सामायिक व्रतम् ।।
योगशास्त्र, 3/82 144. इह सावधयोगप्रत्याख्यानरूपस्य सामायिकस्य मुहूर्तमानतासिद्धान्तेऽनुक्ताऽपि
ज्ञातव्या, प्रत्याख्यानकालस्य जघन्यतोऽपि मुहूर्तमात्रत्वान्नमस्कारसहित
प्रत्याख्यानवदिति। आत्मप्रबोध-द्वितीय प्रकाश, पृ. 184 145. सामायिकसूत्र, पृ. 86-87 146. पुरुषार्थसिद्धयुपाय, 149 147. कार्तिकेयानुप्रेक्षा, 354 148. बोधामृतसार, 492 149. सामायिकसूत्र, पृ. 78-79 150. भगवतीसूत्र, 25/7 151. भगवई-2 (अंगसुत्ताणि), 1/423-426 152. तएणं से मेहे अणगारे समणस्स भगवाओ महावीरस्स 'तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई अहिज्जइ'।
नायाधम्मकहाओ, 1/195 153. तथारूप- यह स्थविरों का विशेषण है। तथारूप का अर्थ है- श्रमणचर्या के
अनुरूप वेशवाला। 154. ग्यारह अंगों में आचारांग पहला अंग है, किन्तु आगम ग्रन्थों में प्राय: 'आचार
माइयाइं एक्कारस अंगाई' का ही उल्लेख किया गया है। इससे अनुमान होता
है कि सामायिक आचारांग का ही दूसरा नाम है। 155. उपासकदशा, अंगसुत्ताणि, 1/45 156. अन्तकृत्दशा, अंगसुत्ताणि, 1/1/21,6/96, 3/13, 8/16 157. विपाकसूत्र, संपा. मधुकरमुनि, 2/1/6 158. आवश्यकनियुक्ति, गा. 545-560 159. वही, संपा. कुसुमप्रज्ञा, प्रस्तावना, पृ. 44 160. तिलकाचार्य सामाचारी, पृ. 15 161. विधिमार्गप्रपा. पृ. 6 162. विधिमार्गप्रपा, पृ. 18 163. विधिमार्गप्रपा-सानुवाद, पृ. 19