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________________ सामायिक आवश्यक का मौलिक विश्लेषण ...59 11. समवतार- किस सामायिक का समवतार किस कारण में होता है? द्रव्यार्थिक नय के अनुसार गुण प्रतिपन्न जीव सामायिक है अतः उसका समवतार द्रव्यकरण में होता है। पर्यायार्थिक नय की दृष्टि से सम्यक्त्व सामायिक, श्रुत सामायिक, देशविरति सामायिक और सर्वविरति सामायिक जीव के गुण हैं अत: इनका समवतार भावकरण में होता है। भावकरण के दो भेद हैंश्रुतकरण और नोश्रुतकरण। श्रुतसामायिक का समवतार मुख्यतः श्रुतकरण में होता है। शेष तीन सामायिकों- सम्यक्त्व, देशविरति और सर्वविरति का समवतार नोश्रुतकरण में होता है।55 ___12. अनुमत- नय की दृष्टि से कौनसी सामायिक मोक्षमार्ग का कारण है, इसका विचार करना अनुमत कहलाता है। ___ ज्ञाननय को सम्यक्त्व सामायिक और श्रुतसामायिक दोनों अनुमत हैं। क्रियानय को देशविरति सामायिक और सर्वविरति सामायिक- ये दोनों अनुमत हैं। अन्तिम चारित्र भेद वाली दोनों सामायिक क्रियारूप होने से ये मुक्ति के अनन्तर कारण हैं। सम्यक्त्व सामायिक और श्रुत सामायिक इनके उपकारी मात्र होने से गौण हैं।56 13. किम्- सामायिक क्या है? द्रव्यार्थिक नय से गुण-प्रतिपन्न जीव सामायिक है और पर्यायार्थिक नय की अपेक्षा से जीव का वही गुण सामायिक है।57 ___14. कतिविध- सामायिक के कितने प्रकार हैं? सामायिक तीन प्रकार की कही गई है- 1. सम्यक्त्व सामायिक 2. श्रुत सामायिक और 3. चारित्र सामायिक।58 15. कस्य- सामायिक का अधिकारी कौन होता है? आचार्य भद्रबाहु के अनुसार जिसकी आत्मा संयम, नियम और तप में जागरूक है, उसके सामायिक होती है। जो त्रस और स्थावर सब प्राणियों के प्रति समभाव रखता है, उसके सामायिक होती है।59 जिनभद्रगणी क्षमाश्रमण के अनुसार प्रियधर्मा, दृढ़धर्मा, संविग्न, पापभीरू, निष्कपट, दान्त, क्षान्त, गुप्त, स्थिरव्रती, जितेन्द्रिय, ऋजु, मध्यस्थ, समित और साधुसंगति में रत- इन गुणों से सम्पन्न व्यक्ति सामायिक ग्रहण करने के योग्य होता है।०० 16. क्व- सामायिक कहाँ होती है? सम्यक्त्व सामायिक और श्रुत सामायिक की प्राप्ति तीनों लोकों- ऊर्ध्व,
SR No.006248
Book TitleShadavashyak Ki Upadeyta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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