________________
सामायिक आवश्यक का मौलिक विश्लेषण ...57 निक्षेप नियुक्ति में निक्षेप द्वारा पारिभाषिक शब्दों का अर्थ कथन होता है। निक्षेप और नियुक्ति में मूल भेद यह है कि नियुक्ति में सूत्र की व्याख्या होती है
और निक्षेप में सूत्र का न्यास मात्र होता है।40 उपोद्घात नियुक्ति में उस विषय या शब्द की 26 प्रकार से मीमांसा होती है।41 तीसरी सूत्रस्पर्शिक नियुक्ति में अस्खलित, अन्य वर्गों से अमिश्रित, अन्य ग्रन्थों के वाक्यों से अमिश्रित, प्रतिपूर्ण, घोषयुक्त, कंठ और होठ से निकला हुआ, गुरु की वाचना से प्राप्त सूत्र का उच्चारण करना होता है। इससे स्वसमयपद, परसमयपद, बंधपद, मोक्षपद, सामायिकपद और नोसामायिक पद- यह सब जाने जाते हैं।42 __व्याख्येय सूत्र को व्याख्या-विधि के निकट लाना, जिस सूत्र की जिस प्रसंग में जो व्याख्या करनी हो, उसकी पृष्ठभूमि तैयार करना उपोद्घात कहलाता है। उपोद्घात के अर्थ का कथन उपोद्घात नियुक्ति है। समणी कुसुमप्रज्ञाजी ने आवश्यकनियुक्ति एवं विशेषावश्यक भाष्य के आधार पर सामायिक के छब्बीस द्वारों को संक्षेप में प्रस्तुत किया है, जिसके द्वारा सामायिक आवश्यक का आद्योपांत परिचय ज्ञात हो जाता है।43
1. उद्देश- सामान्य रूप से नाम कथन करना, जैसे- आवश्यक।44 2. निर्देश- विशेष नाम का निर्देश करना, जैसे- सामायिक।45
3. निर्गम- उत्पत्ति के मूलस्रोत की खोज करना, जैसे- सामायिक का निर्गम महावीर से हुआ।
4. क्षेत्र- वैशाख शुक्ला एकादशी को प्रथम पौरुषी में महासेन वन नामक उद्यान में सामायिक की उत्पत्ति हुई।46।
5. काल- सम्यक्त्व सामायिक और श्रुतसामायिक की उपलब्धि सुषमासुषमा, सुषमा आदि छहों कालखण्डों में होती है। देशविरति सामायिक एवं सर्व विरतिसामायिक की उपलब्धि उत्सर्पिणी के दुःषम-सुषमा और सुषम-दुःषमा तथा अवसर्पिणी के सुषम-दुःषमा, सुषम-दुःषमा और दुःषमा इन काल खण्डों में होती है।47
महाविदेह क्षेत्र में सदा दुःषम-सुषमा नामक चौथा आरा रहता है। वहाँ चारों सामायिक की प्रतिपत्ति हो सकती है। तीन लोक के बाहर केवल तिर्यंच होते हैं अत: वहाँ सर्वविरति सामायिक को छोड़कर शेष तीन सामायिक की प्रतिपत्ति हो सकती है। नन्दीश्वर आदि द्वीपों में विद्याचारण आदि लब्धिधर मुनियों का