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150 ... प्रायश्चित्त विधि का शास्त्रीय पर्यवेक्षण
ग्रहण करने पर मासलघु और सम्बन्धीसंस्तव युक्त आहार ग्रहण करने पर चतुः लघु का प्रायश्चित्त आता है || 29 ||
12-15 विद्यादि - बारहवाँ विद्यापिण्ड, तेरहवाँ मन्त्रपिण्ड, चौदहवाँ चूर्णपिण्ड और पन्द्रहवाँ योगपिण्ड इन चारों पिण्ड सम्बन्धी आहार ग्रहण करने पर चतुः लघु का प्रायश्चित्त आता है || 301
16. मूलकर्म - मूलकर्म सम्बन्धी आहार ग्रहण करने पर मूल प्रायश्चित्त आता है।।30।।
दस एषणा सम्बन्धी दोषों के प्रायश्चित्त
संकियदोससमाणं, दुविहं मक्खियमुत्तं, सच्चित्ताचित्तभेएणं ।।31 ।। भूदगवणमक्खियमिइ तिविहं सच्चित्तमक्खियं बिंति । पुढवीमक्खियमित्थं, चउव्विहं बिंति गीयत्था ।। 32 ।। ससरक्खमक्खियं तह, सेडिय - ओसाइमक्खियं चेव I निम्मीस-मीसकद्दममक्खियमिइ पुढविमक्खियं चउहा ।। 33 । । तत्थ कमेणं पणगं, लहुमासो चउलहू य मासलहू । दगमक्खियं पि चउहा, पच्छाकम्मं पुरोकम्मं । 134 ।। ससिणिद्धं उदउल्लं, चउलहु चउलहु य पणग लहुमासा । वणमक्खियं तु दुविहं, पत्तेयाणंतभेएणं ।। 35।। उक्कुट्ठ-पिट्ठ-कुक्कुसभेया, पत्तेयमक्खियं तिविहं । तिविहे विहु लहुमासो, गुरुमासोऽणंतमक्खियए ।। 36 ।। गरहियइयरेहिं, अचित्तमक्खियं दुविहमाहु साहुवरा । गरहियअचित्तमक्खिय, दोसेणं लहइ चउलहुयं ।।37।। अगरिहसंसत्तअचित्तमक्खियंमि वि लहेइ चउलहुयं । निक्खित्तं पुढवाइसु, अणंतर परंपरं ति दुहा ।।38 ।। ठविए सच्चित्तभू- दग - सिहि-पवण- परित्तवणस्सइ - तसेसु । अणंतर परंपरेस कमा ।।39 ।।
चउलहुय - मासलहुया, अइरपरंपठविए, मीसेसु य तेसु मासलहु- पणगा । अइरपरंपरठविए, पणगं पत्तेयणंतबीएसु । । 40 ।।
आवज्जइ संकियंमि पच्छित्तं ।