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जैन
वाङ्मय में प्रायश्चित्त के प्रकार एवं उपभेद... 37
प्रायश्चित्त दान (तपदान) के विभिन्न प्रकार एवं उसके विविध प्रतीकाक्षर
जैन परम्परा के अनुसार ज्ञात-अज्ञात में कोई भी अपराध या दुष्कर्म हो जाए तो आचार एवं भाव विशुद्धि के ध्येय से एकासना, नीवि, आयंबिल, उपवास, बेला आदि तप करने का विधान है। इस कलिकाल में संघयण बल आदि का क्षीण होता प्रभाव एवं देश - कालगत परिस्थितियों के कारण तप दान की प्रक्रिया में कालक्रम से कई परिवर्तन आए हैं। हमें इस सम्बन्ध में जितनी जानकारी प्राप्त हो पाई है वह इस प्रकार उल्लिखित है
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निशीथसूत्र के उपलब्ध संस्करण के अनुसार प्रायश्चित्त दान यंत्र पराधीनता में या असावधानी में होने वाले अपराध आदि का प्रायश्चित्त
क्रम प्रायश्चित्त नाम जघन्य तप
1.
लघुमास
2. गुरुमास लघु चौमासी
3.
4.
गुरु चौमासी
1.
2.
क्रम प्रायश्चित्त नाम जघन्य तप
चार आयंबिल
चार आयंबिल
एवं पारणे में धार
विगय का त्याग
चार उपवास
3.
4.
चार एकाशना चार निर्विकृतिक
चार आयंबिल
चार उपवास
लघुमास
गुरुमास
लघु चौमा
गुरु चौमासी
आतुरता से लगने वाले अपराध आदि का प्रायश्चित्त
मध्यम तप
चार छट्ठ या चार दिन का छेद
पन्द्रह एकाशना पन्द्रह निर्विकृतिक साठ निर्विकृतिक चार छट्ठ (बेला)
मध्यम तप
पन्द्रह आयंबिल पन्द्रह आयंबिल एवं पारणे में धार विगय का त्याग चार छट्ठ (बेले)
उत्कृष्ट तप
सत्ताईस एकाशना तीस निर्विकृतिक एक सौ आठ उपवास एक सौ बीस उपवास अथवा चार मास दीक्षा पर्याय का छेद
चार अट्ठम या छह दिन का छेद
उत्कृष्ट तप
सत्ताईस आयंबिल तीस आयंबिल एवं पारणे में धार विगय
का त्याग
एक सौ आठ उपवास
एक सौ बीस उपवास या चार मास का छेद