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तप का स्वरूप एवं परिभाषाएँ...19 नियम तथा उनके ग्रहण आदि की विधि भी बताई गई है। तप आराधक वर्ग इस अध्याय के माध्यम से तप साधना में परिपूर्णता एवं आत्म संतोष प्राप्त करें यही प्रयास। सन्दर्भ-सूची 1. "श्राम्यन्तीति श्रमणा: तपस्यन्तीत्यर्थः।”
___ दशवैकालिक हारिभद्रीय टीका, 1/3 2. "श्राम्यति तपसा रिवद्यत इति कृत्वा श्रमणः।"
सूत्रकृतांग, 1/16/1, वही शीलांक टीका, ख. 3, पृ. 268-269 3. दशवैकालिकसूत्र, 1/1 4. अभिधानराजेन्द्रकोश, भा. 4, पृ. 2199 5. (क) स्थानांगटीका, 5/1, पत्र 283
(ख) निशीथभाष्य, 43 की चूर्णि । 6. आवश्यक मलयगिरि टीका, खण्ड 2, अध्ययन 1 7. निशीथभाष्य, 46 की चूर्णि 8. दशवैकालिक जिनदासचूर्णि, पृ. 15 9. उत्तराध्ययन शान्त्याचार्य टीका, पत्रांक 556 10. (क) आवश्यक हारिभद्रीय टीका, पृ. 72
(ख) दशवैकालिक हारिभद्रीय टीका, 1-1, पृ. 11 11. (क) सर्वार्थसिद्धि, 6/24 की टीका
(ख) तत्त्वार्थवार्तिक, 6/24/7 12. (क) सर्वार्थसिद्धि, 9/6
(ख) तत्त्वार्थवार्तिक, 9/6/17 13. सर्वार्थसिद्धि, 9/22 14. तत्त्वार्थवार्तिक, 9/19/20-21 15. तत्त्वसार, 6/19 16. चारित्रसार, पृ. 22 17. मूलाचार टीका, 5/2, 11/5 18. प्रवचनसारवृत्ति, जयसेनाचार्य, 1-79 19. पद्मनन्दि पंचविंशति, 1/98