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I...तप साधना विधि का प्रासंगिक अनुशीलन आगमों से अब तक
सप्तम अध्याय उपसंहार के रूप में प्रस्तुत है। इस अन्तिम अध्याय में तप साधना को सार्वकालिक सिद्ध करते हुए उसे आधुनिक समस्याओं के निवारण, मनोविज्ञान, जीवन प्रबंधन, समाज विकास आदि के परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किया गया है।
इस तपोसाधना के माध्यम से हम असत्य से सत्य, अंधकार से प्रकाश, मृत्यु से अमरत्व, तलहटी से शिखर की यात्रा करते हुए परमोच्च अणाहारी पद को उपलब्ध करें, यही ईष्ट से अभ्यर्थना है।