SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 287
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तपोयोग का ऐतिहासिक अनुशीलन एवं तुलनात्मक अध्ययन...221 बनवाने चाहिए, साधु-साध्वियों के लिए योग्य पण्डितों की व्यवस्था करनी चाहिए, शिक्षण केन्द्र खुलवाने चाहिए आदि। इसी तरह चारित्र के उपकरण संगृहीत कर यथायोग्य साधकों को अर्पित करने चाहिए। उद्यापन में चंदवा-पूठिया बनवाना चाहिए। किसी ग्रन्थ में 10 प्रकार के चंदोवा-पूठिया का निर्देश है। यहाँ यह उपकरण जिनालय एवं साधु-साध्वियों के लिए उपयोगी जानना चाहिए। साक्षात् तीर्थङ्कर के पृष्ठ भाग पर भामण्डल होता है। आज उसी के प्रतीक रूप में चंदोवा बांधते हैं। तीर्थङ्कर के शासनकाल में दूसरे प्रहर में गणधर मुनि देशना देते हैं तब राजा-महाराजा उनके लिए सिंहासन लाते हैं। यदि कोई लाने वाला न हो तो परमात्मा के लिए निर्मित रत्नजड़ित सिंहासन पर बैठकर देशना देते हैं। अत: आचार्यों के पीछे भी चंदोवा-पूठिया बांधा जाता है। उद्यापनकर्ता को यह उपकरण अपने हस्तगत न रखकर जिनमन्दिर या उपाश्रय आदि में सुपुर्द कर देना चाहिए। वर्तमान में चंदोवा-पूठिया पर पूज्य पुरुषों का आलेख किया जाता है जो अनुचित है, क्योंकि साधु-साध्वियों के ऊपर पूज्य पुरुषों से आलेखित चंदोवा बांधने पर उनको पीठ आती है, इसलिए इस तरह के चंदोवा-पूठिया नहीं बांधने चाहिए। वास्तविक रूप से चंदोवा-पूठिया में इन्द्र, चन्द्र, सूर्य, अष्टप्रातिहार्य या वैराग्यदर्शक आलेख आदि करने चाहिए। यह सामान्यतया तीर्थङ्कर परमात्मा एवं आचार्यों के बहुमानार्थ बांधा जाता है। इसके अतिरिक्त शेष उपकरण लघु-बृहद् तपश्चर्याओं के अनुसार निर्मित एवं अर्पित करने चाहिए। प्रत्येक अध्याय में उल्लिखित तप की उद्यापन विधि प्राय: उसी के साथ दे दी गयी है। फिर भी सर्व सामान्य उद्यापन में रखने योग्य सामग्री की संयुक्त सूची इस प्रकार है • बड़े हेंडल वाला दीपक-दो स्टेन्ड युक्त • छोटे हेंडल वाला दीपक . दर्पण • चामर (चाँदी का) • घंटा • चाँदी के कलश • चाँदी के पंखे • चांदी की आरती . चाँदी का मंगल कलश . भंडार • जर्मन की बाल्टी • पीतल की बाल्टी • जर्मन की नली • पीतल की नली • केसर घिसने का ओरसिया (पत्थर) • घिसा हुआ चन्दन डालने के लिए बड़े कटोरे • घिसा चंदन लेने हेतु चम्मच . वासक्षेप के लिए डिब्बी . वासक्षेप की डिब्बी रखने हेतु सर्प और शंख के आकृति की टेबल • धूपदानी- स्टेन्ड युक्त (पीतल). दीपक- स्टेन्ड
SR No.006246
Book TitleTap Sadhna Vidhi Ka Prasangik Anushilan Agamo se Ab Tak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy