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________________ 210...तप साधना विधि का प्रासंगिक अनुशीलन आगमों से अब तक जाते हैं। इसी जुलूस में इमाम हुसैन के सैन्य बल के प्रतीक स्वरूप कुछ लोग अनेक विध शस्त्रों के साथ युद्ध की कलाबाजियाँ प्रदर्शित करते हैं। मुहर्रम के जुलूस में लोग इमाम हुसैन के प्रति अपनी संवेदना दर्शाने के लिए बाजों पर शोक-धुन बजाते हैं और शोक-गीत (मर्शिया) गाते हैं। लोग शोकाकुल होकर आँसू बहाते हुए विलाप करते हैं तथा अपनी छाती पीट-पीट कर 'हाय हुसैन', 'हाय हुसैन' के आर्त स्वर से पूरे वातावरण को करुण रस से सिक्त कर देते हैं। मुहर्रम के दसवें दिन ताजियादारी की यह परम्परा बगदाद के ख़लीफ़ा मजुद्दौला के द्वारा हिजरी सन् 352 में चालू की गयी। भारत में इस परम्परा की शुरुआत चौदहवीं शताब्दी में मुहम्मद तुगलक के समय में तैमूरलंग के द्वारा की गयी। ___ रमज़ान – मुस्लिम महीने रमज़ान के प्रथम दिन से ही यह पर्व आरम्भ हो जाता है। यह रमज़ान का महीना सभी मुस्लिम महीनों में पवित्रतम माना गया है, क्योंकि हज़रत जिब्राइल इसी महीने में अल्लाह के द्वारा पृथ्वी पर भेजे गये थे। इन्हीं के माध्यम से अल्लाह के द्वारा प्रेषित पावन ग्रन्थ 'कुरान' मोहम्मद साहब को उस समय हस्तगत हुआ था, जब वे मक्का में कठोर तपस्या कर रहे थे। रमज़ान के दौरान पूरे दिन मुसलमान लोग उपवास करते हैं और इस अवधि में वे आत्म-नियन्त्रण को अल्लाह का आदेश समझकर समस्त प्रकार की दुर्वृत्तियों से अपने को दूर रखते हैं। इस पवित्र महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग भोर में (उषाकाल के पूर्व) उठकर दिन का उपवास-व्रत आरम्भ करने के पहले अल्पाहार करते हैं। पूरे दिन शुभ विचारों तथा धार्मिक भावनाओं में मन को केन्द्रित करके उपवास-व्रत का दृढ़ संकल्प के साथ पालन करने वाले मुस्लिम लोग मस्जिदों में कुरान की आयतों का पाठ करते हैं। इस प्रकार रमज़ान महीने में कठोर उपवास, कुरान-पाठ, आत्म-नियन्त्रण, परस्पर भाईचारे की भावना आदि के द्वारा मुसलमान बन्धु नैसर्गिक मानवीय गुणों से ओत-प्रोत हो जाते हैं। ईद-उल-फ़ितर – मुस्लिम समुदाय द्वारा सम्पूर्ण विश्व में मनाया जाने वाला यह सबसे बड़ा पर्व है। यह हिजरी सन् के दसवें महीने 'शव्वाल' की पहली तारीख़ को मनाया जाता है। रमज़ान के दौरान तीस दिनों के कठोर उपवास के बाद महान् हर्ष तथा उल्लास के साथ लोग नये-नये रंग-बिरंगे भव्य
SR No.006246
Book TitleTap Sadhna Vidhi Ka Prasangik Anushilan Agamo se Ab Tak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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