SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 273
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भारतीय परम्पराओं में प्रचलित व्रतों ( तपों) का सामान्य स्वरूप...207 3:16 में लिखा है- 'क्योंकि परमेश्वर ने जगत् से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना इकलौता पुत्र दे दिया ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नष्ट न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाये।' ____5. ईस्टर अथवा पुनरुत्थान-दिवस - ईस्टर मसीहियों के लिए हर्षोल्लास का पर्व है, जो शुभ शुक्रवार के बाद आने वाले रविवार को मनाया जाता है। इस दिन यीशु पुन: जीवित हुए थे। यीशु के क्रूस पर चढ़ाये जाने की घटना जितनी दुःखद थी,उसके विपरीत पुनरुत्थान-दिवस आनन्ददायक एवं इतिहास की महत्त्वपूर्ण घटना थी। यीशु के जीवित होने का वर्णन मत्तीरचित सुसमाचार में बहत ही मार्मिक ढंग से किया गया है। वहाँ लिखा है_ 'देखो, एक बड़ा भूडोल हुआ; क्योंकि प्रभु का एक दूत स्वर्ग से उतरा और पास आकर उसने पत्थर को (जो क्रूस पर था) लुढ़का दिया और उस पर बैठ गया। उसका रूप बिजली का-सा और उसका वस्त्र पाले की तरह उज्ज्वल था। उसके भय से पहरुए काँप उठे और मृतक के समान हो गये' (मत्ती, 28:14)। इस अवसर पर मरियम मगदलीनी और दूसरी मरियम कब्र पर पहँची थीं। वे इस घटना को देखकर डर गयी। तब देवदूत ने कहा था, 'तुम मत डरो। मैं जानता हूँ कि तुम यीशु को जो क्रूस पर चढ़ाया गया था ढूँढ़ती हो, वह यहाँ नहीं है, परन्तु अपने वचन के अनुसार जी उठा है' (मत्ती, 28:5-7)। इन स्त्रियों ने ये बातें ग्यारह चेलों को बतायीं; किन्तु उन्होंने प्रतीति नहीं की। पतरस उठकर कब्र पर दौड़ गया और झुककर केवल कपड़े पड़े देखे तथा जो हुआ था उस पर अचम्भा करते हुए अपने घर चला गया (लूका, 24:9-12)। यूहन्ना लिखता है कि यीशु ने सबसे पहले मरियम को दर्शन दिये, किन्तु उसने मरियम को अपने- आपको छूने नहीं दिया और यह कहा – 'मुझे मत छू; क्योंकि मैं अब तक पिता के पास ऊपर नहीं गया' (यूहन्ना, 20:17)। इस घटना के बाद यीशु इम्माउस गाँव को जाते हुए दो भक्तों को मिला (लूका 24:1335)। सन्ध्या के समय दस शिष्यों को (थोपा उस समय वहाँ नहीं था) दिखायी दिया (लूका, 24:26-43)। सात दिन के बाद ग्यारह चेलों को दिखायी दिया और उस समय थोपा भी था (यूहन्ना, 20:24-29)। तब यीश पुन: गलील के पर्वत पर ग्यारह चेलों को दिखायी दिया और उसने आदेश दिया कि 'तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र तथा
SR No.006246
Book TitleTap Sadhna Vidhi Ka Prasangik Anushilan Agamo se Ab Tak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy