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164...तप साधना विधि का प्रासंगिक अनुशीलन आगमों से अब तक 31. (क) तिन्नि सए दिवसाणं, अउणापन्ने य पारणाकालो।
आवश्यकनियुक्ति, गा. 534 (ख) आवश्यक हारिभद्रीयावृत्ति, पत्र 227-229
(ग) त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र, 10/4/651-657 32. कल्पसूत्र, पृ. 185-186 33. (क) अनुत्तरोपपातिकसूत्र, संपा. मधुकरमुनि, 3/1/6
(ख) अन्तकृद्दशांगसूत्र, वर्ग 6-3, वर्ग 8-1-10 34. आवश्यकनियुक्ति, गा. 450 35. आवश्यकचूर्णि जिनदासगणिमहत्तर, पृ. 235 36. समवायांगसूत्र अभयदेव टीका, पृ. 100 37. कल्पसूत्र, पृ. 39 38. वीतरागस्तोत्र, 4/14 39. (क) ज्ञाताधर्मकथासूत्र, 8/14
(ख) तत्त्वार्थसूत्र, 6/24 40. अभूमिज मनाकाशं, पथ्यं रस विवर्जनम् । सम्मतं सर्वशास्त्राणां, वद वैद्य किमौषधम्?
__ जैन आचार सिद्धान्त और स्वरूप, पृ. 532 41. अभूमिजमनाकाशं, पत्थ्यं रस विवर्जनम् ।।
पूर्वाचार्यः समाख्यातां, लंघनं परमौषधम् ॥ 42. उपवास, पृ. 9-10
वही, पृ. 532 43. उपवास से जीवन रक्षा, पृ. 32-33 44. जिनवाणी, संपा. डॉ. नरेन्द्र भानावत, पृ. 128-131 45. तएणं तस्स भरहस्स...आउहघरसालाए दिव्वे चक्करयणे
समुप्पजित्था। तएणं से भरहेराया ... पोसहसाला उवागच्छइ... अट्ठमभत्तं पगिण्हइ।
जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति, 3/53, 57 46. जैन धर्म में तप स्वरूप और विश्लेषण, पृ. 52-53 47. ततेणं तुम्हे अम्हं ईंदा भविस्सह......
भगवतीसूत्र, 3/1/36-45 48. प्रवचनसारोद्धार, 270, 1492 49. वही, 270, 1495 50. योगदर्शन, 2/36 51. भगवतीसूत्र, अभयदेवटीका, 8/2 52. दसविहा लद्धी पण्णत्ता...
भगवतीसूत्र, 8/2/92