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________________ तप साधना की उपादेयता एवं उसका महत्त्व...159 में एक बार तो कुछैक तपों जैसे- नवपद, बीस स्थानक आदि में त्रिकाल देववन्दन का विधान है। इसके पीछे मुख्य कारण यह कहा जा सकता है कि नवपद आदि शाश्वत तप हैं। बीसस्थानक की आराधना प्रत्येक तीर्थङ्करों के द्वारा एवं उनके शासनकाल में होती ही है। अतः ऐसे तप विशेष की महिमा दर्शाने के लिए तीन बार देववन्दन की परम्परा बनायी गयी है। वैसे बिना तप के भी देववन्दन किया जा सकता है। देववन्दन कब करना? जिन तपस्याओं में त्रिकाल देववन्दन का नियम है वहाँ त्रिकाल दर्शन के समय में देववन्दन करना चाहिए यानी सूर्योदय के बाद से दिन के पहले प्रहर तक प्रथम देववन्दन, दूसरे प्रहर के मध्य समय में मध्याह्नकाल का देववन्दन तथा सूर्यास्त से पूर्व तीसरी बार का देववन्दन करना चाहिए। जहाँ एक बार देववन्दन का विधान है वह मध्याह्नकाल में करना चाहिए, क्योंकि देववन्दन न करने तक आराधक का मन प्रत्याख्यान में स्थिर रहेगा। वैसे मध्याह्नकाल पूजाभक्ति के लिए उत्कृष्ट भी माना गया है। कई जगह रूढ़ि परम्परा से यह धारणाएँ पाल रखी है कि देववन्दन साढ़े बारह बजे तक कर लेना चाहिए, कारण विशेष से न हो तो उसके बाद नहीं किया जा सकता? वैसे पुरिमड्ड तक तो देववन्दन का विधान है ही। इसके समय निर्धारण का एक कारण उस क्रिया के लिए समय नियोजन की अपेक्षा से होना चाहिए, अन्यथा कोई कभी भी करेगा तो उस क्रिया का अपना महत्त्व नहीं रहेगा, परन्तु किसी कारणवश यदि बाद में करना पड़े तो उसमें कोई दोष नहीं है, क्योंकि देववन्दन यह परमात्मा का गुणगान है जो कि कभी भी किया जा सकता है। वर्तमान में देववन्दन के स्थान पर नवकार मन्त्र की एक माला गिनने की परम्परा भी देखी जाती है। यह परिस्थितिवश आया हुआ अपवाद मार्ग है, जिसके निम्न कारण पाये जाते हैं - यदि किसी को देववन्दन के सूत्र पाठ आते ही न हों और कोई करवाने वाला भी न हो। ऐसे साधकों के मन में क्रिया पूर्ण नहीं हुई, ऐसा खेद न रहे या इस कारण वे तप से ही वञ्चित न रह जाएँ, इसलिए उन लोगों के लिए एक माला का विधान हो सकता है। दूसरा कारण यह सम्भव है कि कोई परिस्थिति
SR No.006246
Book TitleTap Sadhna Vidhi Ka Prasangik Anushilan Agamo se Ab Tak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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