SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 73
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन आगम : एक परिचय ... 15 अंगप्रविष्ट - गणधरों द्वारा रचित बारह अंग, द्वादशांग अथवा गणिपिटक अंगप्रविष्ट कहलाते हैं। विशेषावश्यक भाष्य में अंग प्रविष्ट के निम्न अर्थ बताए गए हैं- 1. जो गणधर के द्वारा सूत्र रूप में ग्रथित हो । 2. जो गणधर द्वारा प्रश्न करने पर तीर्थंकर के द्वारा प्रज्ञप्त हो। 3. जो शाश्वत सत्य का प्रतिपादक होने से ध्रुव एवं सुदीर्घकालीन हो ऐसा श्रुत अंगप्रविष्ट कहा जाता है 100 अंगबाह्य- आचार्यों एवं स्थविरों द्वारा विरचित आगम उपांग, अनंग प्रविष्ट या अंगबाह्य कहलाते हैं। अंग बाह्य आगम गणधरों द्वारा रचित भी हो सकते हैं। जैसे कि आवश्यकसूत्र खुद गणधरों की ही रचना है और वह अंगबाह्य ही है। अधिकतर अंगबाह्य आगम स्थविरों की रचना है ऐसा नन्दी टीका में कहा गया है। आवश्यक टीका में अंगबाह्य के निम्नोक्त अर्थ बतलाये हैं 1. आचार्य भद्रबाहुस्वामी आदि स्थविरों द्वारा रचित आवश्यकनिर्युक्ति आदि टीका ग्रन्थ अनंग प्रविष्ट हैं। 2. तीर्थंकरों के द्वारा गणधरों के अतिरिक्त अन्य व्यक्तियों के प्रश्नों का जो समाधान दिया गया, उस आधार पर जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति आदि की रचना हुई, यह अनंग प्रविष्ट है। 3. सब तीर्थंकरों के तीर्थ में जो अनियत श्रुत है, वह अनंग प्रविष्ट है। यह व्याख्या नन्दीसूत्र की मलयगिरि टीका में भी की गई है। 61 तत्त्वार्थभाष्य में वक्ता की अपेक्षा से भी अंगप्रविष्ट और अंगबाह्य ऐसे दो भेद किए गए हैं।62 दिगम्बर परम्परावर्ती तत्त्वार्थ राजवार्तिक के अनुसार जिस आगम के मूल प्रणेता तीर्थंकर हों और संकलनकर्त्ता गणधर हों वह अंगप्रविष्ट है तथा आरातीय (जिनवाणी के आज्ञा पालक) आचार्यों द्वारा निर्मित आगम अंग प्रविष्ट अर्थ के निकट होने के कारण अंगबाह्य कहलाते हैं | 3 नंदीसूत्र में अंगबाह्य के आवश्यक, आवश्यक व्यतिरिक्त, कालिक और उत्कालिक के रूप में सभी आगमों का वर्णन किया गया है वह संक्षेप में निम्न प्रकार है-64
SR No.006245
Book TitleAgam Adhyayan Ki Maulik Vidhi Ka Shastriya Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy