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________________ योग तप (आगम अध्ययन) की शास्त्रीय विधि ...363 व्यवहार, दिन-5, काल-5 दिन | व्य.अध्ययन उद्दे.,1/2| 3/4 उद्देशक कायोत्सर्ग तप नी. नी. दिन 1 अध्ययन 4 । दशाश्रुतस्कन्य, दिन-12, काल-12, नंदी-1 9/10 | 11 | 12 13 14 15 16 17 | 18 | 19 | 20 कल्प.व्य. |कल्प.व्य. दशा.श्रुत. | दशा.श्रुत. | समु. | अनु.नंदी कायोत्सर्ग 3 | 3 | 31333 | 3 | 3 | 3 | 3 | 1 तप नी . नी. | नी. नी. नी. नी. नी. नी. नी. नी. | आ. | आ.. • आचारदिनकर के अनुसार तप क्रम दशवैकालिकसूत्र के यन्त्रवत समझें। महानिशीथसूत्र योग विधि • महानिशीथ सूत्र में एक श्रुतस्कन्ध और आठ अध्ययन हैं। पहला अध्ययन एक समान है, दूसरे अध्ययन में नौ, तीसरे में सोलह, चौथे में सोलह, पाँचवें में बारह, छठवें में चार, सातवें में छह और आठवें में बीस उद्देशक हैं। इस प्रकार आठ अध्ययनों के कुल तिरासी उद्देशक होते हैं। • महानिशीथसूत्र का सातवाँ-आठवाँ अध्ययन चूला रूप माना जाता है। • इस सूत्र का योग गणियोग (भगवतीसूत्र) की कल्प्याकल्प्य विधि एवं आउत्तवाणय पूर्वक वहन किया जाता है। इस योग में निरन्तर पैंतालीस दिन आयंबिल करते हैं। महानिशीथ सूत्र की योगोद्वहन विधि निम्नलिखित है पहले दिन योगवाही महानिशीथ सूत्र के उद्देश की क्रिया करें। उसके बाद प्रथम अध्ययन के उद्देश-समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करें। एक कालग्रहण लें, नंदी क्रिया और आयंबिल तप करें। इसकी क्रिया विधि में चार बार मुखवस्त्रिका की प्रतिलेखना, चार बार द्वादशावर्त वंदन, चार बार खमासमण सूत्र पूर्वक वंदन और चार बार कायोत्सर्ग करें।
SR No.006245
Book TitleAgam Adhyayan Ki Maulik Vidhi Ka Shastriya Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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