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________________ योग तप (आगम अध्ययन) की शास्त्रीय विधि ...341 ज्ञाताधर्मकथासूत्र योग विधि प्रथम श्रुतस्कन्ध • इस छठे अंग सूत्र में दो श्रुतस्कन्ध हैं। • प्रथम श्रुतस्कन्ध 'ज्ञाता' नाम का है। इस श्रुतस्कन्ध में उन्नीस अध्ययन हैं। एक दिन में एक अध्ययनपूर्ण करते हैं। एक दिन श्रुतस्कन्ध के समुद्देश और अनुज्ञा में लगता है। इस प्रकार प्रथम श्रुतस्कन्ध में बीस दिन लगते हैं। • ज्ञाता नामक प्रथम श्रुतस्कन्ध के अध्ययनों के नाम हैं- 1. उत्क्षिप्तज्ञात 2. संघाटज्ञात 3. अंडकज्ञात 4. कूर्मज्ञात 5. शैलकज्ञात 6. तुम्बकज्ञात 7. रोहिणीज्ञात 8. मल्लीज्ञात 9. माकंदीज्ञात 10. चंद्रिकाज्ञात 11. दावद्रवज्ञात 12. उदकज्ञात 13. मण्डूकदर्दूरज्ञात 14. तेतलिपुत्र 15. नन्दीफल 16. अपरकंका 17. आकीर्ण 18. सुंसुमा और 19. पुण्डरीका ज्ञाता नामक प्रथम श्रुतस्कन्ध की योगविधि इस प्रकार है प्रथम दिन योगवाही छठे अंग सूत्र एवं उसके प्रथम श्रुतस्कन्ध के उद्देश की क्रिया करें, उसके बाद प्रथम अध्ययन के उद्देश, समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करें। इन उद्देश आदि के निमित्त एक काल का ग्रहण करें, नंदी क्रिया और आयंबिल तप करें। इसकी क्रियाविधि में पाँच बार मुखवस्त्रिका की प्रतिलेखना, पाँच बार द्वादशावर्त्तवंदन, पाँच बार खमासमणा सूत्र पूर्वक वंदन एवं पाँच बार कायोत्सर्ग करें। दूसरे दिन योगवाही द्वितीय अध्ययन के उद्देश, समुद्देश एवं अनुज्ञा की विधि करें। एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी क्रियाविधि में सभी क्रियाएँ पूर्ववत तीन-तीन बार करें। तीसरे दिन से लेकर उन्नीसवें दिन तक क्रमश: तृतीय से उन्नीस अध्यायों के उद्देश, समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया द्वितीय अध्ययन के समान पूर्ण करें। प्रतिदिन एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी क्रियाविधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ तीन-तीन बार करें। बीसवें दिन योगवाही प्रथम श्रुतस्कन्ध के समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करें। इस दिन एक कालग्रहण लें, नंदी क्रिया और आयंबिल तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ दो-दो बार करें। . ___ इस प्रकार ज्ञातानामक प्रथम श्रुतस्कन्ध के योग में बीस दिन लगते हैं तथा दो बार नंदी क्रिया होती है।
SR No.006245
Book TitleAgam Adhyayan Ki Maulik Vidhi Ka Shastriya Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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