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योगोद्वहन सम्बन्धी विविध विधियाँ ...297
72. विधिमार्गप्रपा, पृ. 128 73. आचारदिनकर, पृ. 90 74. (क) श्री प्रव्रज्या योगादि विधि संग्रह, पृ.53
(ख) श्री बृहद्योगविधि, प्र. 22-23 75. पाइअसद्दमहण्णवो, पृ. 577 76. विधिमार्गप्रपा-सानुवाद, पृ. 134 77. श्री प्रव्रज्या योगादि विधि संग्रह, पृ. 59-61 78. श्री बृहद्योग विधि, पृ. 13-14 79. श्री प्रव्रज्या-योगादि विधि संग्रह, पृ. 55-57 80. व्यवहारभाष्य, गा. 3138 81. तिलकाचार्य सामाचारी, पृ. 45 82. विधिमार्गप्रपा-सानुवाद, पृ. 126 83. आचारदिनकर, पृ. 88 84. (क) श्री बृहद् योगविधि, पृ. 32-34
(ख) श्री प्रव्रज्या योगादि विधि संग्रह, पृ. 64-65 85. जहाँ संघट्टा ग्रहण करना हो वह भूमि प्रतिलेखित और प्रमार्जित होनी चाहिए। 86. गोचरी के अतिरिक्त शेष वस्तुओं का संघट्टा ग्रहण करते समय 'भात पाणी'
शब्द न बोलें तथा केवल संघट्टा ग्रहण करना हो तो 'आउत्तवाणय' शब्द न
बोलें। 87. आचारदिनकर, पृ. 84 88. वही, पृ. 85-86 89. व्यवहार भाष्य-सानुवाद, 3190-92 90. विधिमार्गप्रपा-सानुवाद, पृ. 129 91. श्री प्रव्रज्या योगादि विधि संग्रह, पृ. 54 92. व्यवहारभाष्य, गा. 3191-92 93. तिलकाचार्य सामाचारी, पृ. 44-45 94. सुबोधा सामाचारी, पृ. 22-23 95. विधिमार्गप्रपा, पृ. 129 96. आचारदिनकर, पृ. 90 97. व्यवहारभाष्य, गा. 3191-93