SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 261
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ योगोद्वहन : एक विमर्श ...203 सन्दर्भ-सूची 1. मनोवाक्कायानां तपः समाधौ योजनं योगः अथवा सिद्धान्तवाचनाया मन्यविहितया तपसा योजनं योगः ते चागमक्रमोद्वहनेन बहुविधाः तेषां निरूद्धपारणक कालस्वाध्यायादिभिरूद्वहनं योगोद्वहन। आचारदिनकर, पृ. 81 2. (क) संस्कृत हिन्दी कोश, पृ. 837 (ख) युनूंपी योगे। हेमचन्द्रधातुमाला, गण-7 (ग) युजिं च समाधौ, वही, गण 4 3. वही, पृ. 198 4. (क) विधिमार्गप्रपा-सानुवाद, पृ. 116 (ख) आचारदिनकर, पृ. 87 5. पाइअसद्दमहण्णवो, पृ. 107 6. भिक्षु आगमविषय कोश, पृ. 56 7. आचारदिनकर के अनुसार आवश्यकसूत्र आगाढ़ योग है जबकि विधिमार्गप्रपा में इस सूत्र को अनागाढ़ योग माना गया है। (क) आचारदिनकर, पृ. 87 (ख) विधिमार्गप्रपा, पृ. 116 8. नन्दीसूत्र, सू. 80 . 9. स्वाध्याय सौम्य सौरभ, पृ. 191 10. नन्दीसूत्र, सू. 81 11. दोग्गइ पडणुपधरणा, उवधाणं जत्थ जत्थ जं सुत्ते । आगाढमणागाढे, गुरुलहु आणादि सगडपिता ॥ (क) निशीथभाष्य, 15 की चूर्णि (ख) व्यवहारभाष्य, 62 की टीका 12. आगाढप्रज्ञा येषु व्याप्रियते न या काचन तान्यागाढ प्रज्ञानि शास्त्राणि तेषु भावितात्मा तात्पर्यग्राहितया तत्रातीवनिष्पन्नमतिः । व्यवहारभाष्य, गा. 1403 की टीका 13. स्थानांग टीका, स्था. 10 14. अभिधानराजेन्द्रकोश, भा. 4, देखिए- जोग शब्द 15. विधिमार्गप्रपा-सानुवाद, पृ. 115
SR No.006245
Book TitleAgam Adhyayan Ki Maulik Vidhi Ka Shastriya Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy