SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 24
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ xxii... आगम अध्ययन की मौलिक विधि का शास्त्रीय विश्लेषण साध्वी सौम्यगुणा श्री ने जैन विधि-विधानों पर रचित साहित्य का मंथन करके एक सुंदर चिंतन प्रस्तुत करने का जी प्रयास किया है वह अत्यंत अनुमोदनीय एवं प्रशंसनीय है। शुभकामना व्यक्त करती हूँ कि यह शास्त्रमंथन अनेक साधकों के कर्मबंधन तोड़ने में सहायक बने। साध्वी संवैगनिधि सुश्रावक श्री कान्तिलालजी मुकीम द्वारा शोध प्रबंध सार संप्राप्त हुआ। विदुषी साध्वी श्री सौम्यगुणाजी के शीधसार ग्रन्थ को देखकर ही कल्पना होने लगी कि शोध ग्रन्थ कितना विराट्काय होगा। वर्षों के अथक परिश्रम एवं सतत रुचि पूर्वक किए गए कार्य का यह सुफल है। वैदुष्य सह विशालता इस शोध ग्रन्थ की विशेषता है। हमारी हार्दिक शुभकामना है कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में उनका बहुमुखी विकास हो! जिनशासन के गगन में उनकी प्रतिभा, पवित्रता एवं पुण्य का दिव्यनाद ही। किं बहुना! साध्वी मणिप्रभा श्री भद्रावती तीर्थ
SR No.006245
Book TitleAgam Adhyayan Ki Maulik Vidhi Ka Shastriya Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy