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________________ 156... आगम अध्ययन की मौलिक विधि का शास्त्रीय विश्लेषण 133. प्रभातकाल सम्बन्धी तीसरी पाटली का अनुष्ठान करते समय वैरात्रिककाल और पाँचवीं पाटली का अनुष्ठान करते समय प्राभातिक काल के निवेदन पूर्वक गुर्वाज्ञा ली जाती है तथा रात्रिकाल सम्बन्धी तीसरी पाटली का अनुष्ठान करते समय व्याघातिक काल और पाँचवीं पाटली का अनुष्ठान करते समय अर्द्धरात्रिक काल की गर्वानुमति प्राप्त की जाती है। 134. गुरु जहाँ-जहाँ तीन ‘नमस्कारमन्त्र' अथवा 'नन्दीपाठ' बोलकर वासचूर्ण डालते हए 'नित्थारपारगा होह' कहें उस समय शिष्य ‘इच्छामो अणुसटुिं' अर्थात मैं भी यही चाहता हूँ- ऐसा बोलें। 135. यदि आचार्य हो तो योगवाही के साथ स्थंडिल भूमि पर वे ही जाएं। वहाँ निर्दोष स्थान देखकर खड़े हो जाएं, डंडे की स्थापना करें, फिर ईर्यापथ प्रतिक्रमण कर एक-एक कंकर (लघु प्रस्तर खण्ड) उठाकर योगवाही को दें। यदि कंकर देने वाले आचार्य योगवहन कर रहे हों तो दूसरे आचार्य इस तरह की क्रिया करें। योगवाही मल विसर्जन करने के बाद जब आचार्य के साथ हो जाए, तब कंकर फेंक दें। इस दौरान किसी तरह का व्यवधान नहीं माना जाता है। यह परम्परा आज भी अस्तित्व में है। इसका रहस्य गीतार्थ गम्य है। हमारी दृष्टि में इसका प्रयोजन अंग शुद्धि या व्यवधान निवारण हो सकता है। 136. योग प्रवेश के प्रथम दिन काल प्रवेदन और एक स्वाध्याय प्रस्थापना करने के पश्चात योग में प्रवेश करवाना चाहिए। उसके बाद नन्दी आदि की क्रिया करवाई जानी चाहिए। 137. दांडीधर कालग्रहण के समय बायें हाथ की अंगुलियों और अंगूठे के बीच दंडी स्थिर कर उसे पाटली के समक्ष रखें। उसके बाद एक नमस्कार मन्त्र का स्मरण करते हुए पाटली एवं दंडी की स्थापना करें। फिर दायें हाथ की मुट्ठी बांधकर एवं एक नमस्कार मन्त्र का स्मरण करते हुए बायें हाथ में स्थित दंडी की स्थापना करें। 138. जिस दिन श्रुतस्कन्ध का समुद्देश या अनुज्ञा की गई हो उस रात्रि में दीर्घ शंका का निवारण करना पड़े तो कालग्रहण नष्ट हो जाता है फिर उस दिन कालग्रहण सम्बन्धी कोई अनुष्ठान नहीं किया जाता है। 139. जिस स्थान पर संघट्टा विधि करें उसके चारों ओर सौ-सौ कदम तक
SR No.006245
Book TitleAgam Adhyayan Ki Maulik Vidhi Ka Shastriya Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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