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96... आगम अध्ययन की मौलिक विधि का शास्त्रीय विश्लेषण 7. नो कप्पति निग्गंथाण वा, निग्गंथीण वा चउहि महापाडिएहिं सज्झायं करित्तए, तं जहा-आसाढ पाडिवए, इंदिमहापाडिवए, कत्तिअपाडिवए, सुगिम्ह पाडिवए।
स्थानांगसूत्र, 4/2/256 8. नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा, चउहिं संझाहिं सज्झायं करेत्तए, तं __जहा-पडिमाते, पच्छिमाते, मज्झण्हे, अड्ढरत्ते। स्थानांगसूत्र, 4/2/257
9. आवश्यकनियुक्ति, गा. 1322 10. (क) वही, 1323
(ख) प्रवचनसारोद्धार, गा. 1450-51 की टीका 11. महिया उ गब्भमासे, सच्चित्तरओ य ईसिआयंबे । वासे तिन्नि पगारा, बुब्बुय तव्वज्ज फुसिए य॥
(क) प्रवचनसारोद्धार, गा. 1451
(ख) विधिमार्गप्रपा-सानुवाद, पृ. 121 12. प्रवचनसारोद्धार, 1452 की टीका 13. पंसू अ मसरूहिरे, केससिलावुट्ठि तह रउग्घाए ।
मंसरूहिरे अहोरत्तं, अवसेसे जच्चिरं सुत्तं ।। पंसू अचित्तरओ, रयस्सिलाओ दिसा रउग्घाओ। तत्थ सवाए निव्वायए, य सुत्तं परिहरंति ॥
आवश्यकनियुक्ति, 1331-1332 14. (क) वही, 1334-1336
(ख) प्रवचनसारोद्धार, 1455-56 की टीका 15. (क) आवश्यकनियुक्ति, 1342
(ख) आवश्यक हारिभद्रीय टीका, भा. 2, पृ. 165 16. प्रवचनसारोद्धार, 1459-60 की टीका 17. विधिमार्गप्रपा-सानुवाद, पृ. 120 18. आवश्यकनियुक्ति, 1345 19. वही, 1349 20. प्रवचनसारोद्धार, गा. 1465-1468 की टीका 21. प्रवचनसारोद्धार, 1469-71 की टीका 22. आवश्यकनियुक्ति, 1344, 1359