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________________ वाचना दान एवं ग्रहण विधि का मौलिक स्वरूप...29 इसमें यह भी कहा गया है कि जो श्रोता नाभि के ऊपर के अवयवों को खुजलाता हुआ सूत्र और अर्थ को सुनता है, उसे क्रमश: चतुर्लघु और चतुर्गुरु का प्रायश्चित आता है। नाभि के नीचे के अवयवों को खुजलाता हुआ सूत्र श्रवण करता है तो उसे चतर्गरु का प्रायश्चित्त प्राप्त होता है अत: बुद्धिमान शिष्य को अविनय- अविधि के इन सभी स्थानों का वर्जन कर बद्धांजलियुक्त, उत्कटिक आसन में बैठकर आदर पूर्वक सूत्र श्रवण करना चाहिए।44 बृहत्कल्पभाष्य के निर्देशानुसार गुरु को आते हुए देखकर खड़ा होना, गुरु का संस्तारक सम एवं सुन्दर स्थान पर करना, बैठने योग्य निषद्या करना, गुरु की शय्या और आसन से स्वयं की शय्या एवं आसन नीचा रखना आदि विनयोचित व्यवहार का भी श्रुत ग्रहण काल में पालन करना चाहिए। विनय से एकाग्रचित्तता बढ़ती है, एकाग्रता से वाचना अस्खलित होती है और अस्खलित वाचना श्रुत समृद्धि को निरन्तर अभिवृद्ध करती है।45 श्रुतदाता एवं श्रुतग्राहीता के अनुपालनीय नियम वाचनाचार्य एवं वाचनाग्राही शिष्य के लिए अग्रलिखित नियम अनुपालनीय है - • सूत्र मण्डली में वाचना देने वाले आचार्य प्राघूर्णक (अतिथि साधु) आदि के आने पर नियमत: अपने आसन से खड़े होकर विनय आदि शिष्टाचार का पालन करे। ___ • अर्थ मण्डली में उपविष्ट आचार्य अपने वाचनाचार्य को छोड़कर शेष दीक्षा गुरु आदि कोई भी आए, तब भी खड़े न होवें। व्यवहारभाष्य में कहा गया है कि गणधर गौतम अनुयोग काल में केवल भगवान महावीर को छोड़कर अन्य किसी के आने पर खड़े नहीं होते थे, आज भी उसी पूर्व परिपाटी का आचरण होता है।46 ___ यह नियम अनुयोग (वाचना) आरम्भ के निमित्त कायोत्सर्ग करने के पश्चात आचरणीय है, क्योंकि अनुयोग की शुरूआत करने के बाद अभ्युत्थान आदि करने से निम्न दोष लगते हैं - जैसे बार-बार वन्दनादि के निमित्त उठने पर मण्डली में व्याक्षेप होता है, व्याक्षेप से विकथा, विकथा से इन्द्रिय-मन की चंचलता बढ़ती है। चंचलता के कारण नवगृहीत नय, निक्षेप, दृष्टान्त आदि नष्ट हो जाते हैं, प्रारम्भ की हुई पृच्छा विस्मृत हो जाती है इसलिए बीच-बीच में
SR No.006244
Book TitlePadarohan Sambandhi Vidhiyo Ki Maulikta Adhunik Pariprekshya Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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