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शब्दार्पण
गच्छ खरतर का अनुकुम्भ है जो भरते गच्छ में अनुपमेयता ।
सूरज से हैं देदीप्यमान जो
हरते भौतिक रात्रि की नीरवता ।
मुनि संघ की अनुप्रेरणा है जो
संचारित करते संयम में वीरता ।
जिन शासन की पतवार है जो
धरते कैलाश गिरि सी उच्चता ।। ऐसे
गच्छ कर्णधार, अनुभव सम्राट परम पूज्य आचार्य प्रवर
श्री कैलाशसागर सूरीश्वरजी म.सा. को
विशुद्ध भावेन समर्पित