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________________ प्रवर्त्तिनी पदस्थापना विधि का सर्वांगीण स्वरूप... 245 प्रवर्त्तिनी पद हेतु आवश्यक योग्यताएँ जिनमत में शासन-व्यवस्था एवं संघ-संचालन की दृष्टि से अनेकविध पदारोपण संस्कार किये जाते हैं, उनमें साध्वी वर्ग के सम्यक् संचालन हेतु महत्तरा, गणिनी या प्रवर्त्तिनी पद का संस्कार होता है। यह साध्वी संघ के दायित्व निर्वहन का विशिष्ट पद है अतः प्रवर्त्तिनी को प्रभूत गुणों से सम्पन्न होना चाहिए। व्यवहारभाष्य के अनुसार जो निशीथचूला को सूत्रत: एवं अर्थतः पढ़ चुकी हो तथा गच्छ में बहुमान्य हो वह गुणयुक्त साध्वी प्रवर्त्तिनी पद के योग्य है। 11 पंचवस्तुक के उल्लेखानुसार प्रवर्त्तिनी पद पर स्थापित करने योग्य साध्वी गीतार्था, प्रतिलेखना आदि क्रियाओं की अभ्यासी, उत्तम कुलवती, उत्सर्गअपवाद मार्ग की ज्ञाता, गम्भीर, चिरदीक्षिता और वयोवृद्ध होनी चाहिए | 12 विधिमार्गप्रपा में गीतार्थ आदि उक्त गुणों से युक्त साध्वी को इस पद के योग्य कहा गया है। 13 धर्मसंग्रह में गीतार्था, कुलवती, क्रियाओं में कुशल, प्रौढ़ बुद्धि वाली, गम्भीर हृदयवाली एवं उभयता वृद्ध (दीक्षा और वय दोनों से वृद्ध) साध्वी को प्रवर्त्तिनी पद के लिए सुयोग्य माना गया है। 14 आचारदिनकर के मतानुसार जो इन्द्रियों को जीतने वाली हो, विनीता हो, कृतयोगिनी हो, आगम अभ्यासी हो, मधुरभाषी हो, स्पष्टवक्त्री हो, करुणाशील हो, धर्मोपदेश में निरत हो, गुरु एवं गच्छ के प्रति स्नेहशील हो, शान्त हो, विशुद्ध शीलवती हो, क्षमावान हो, अत्यन्त निर्मल हो, अनासक्त हो, लेखन आदि कार्यों में उद्यमशील हो, रजोहरण आदि उपधि बनाने में सक्षम हो, विशुद्ध कुल में उत्पन्न एवं सदा स्वाध्यायरत हो - ऐसी साध्वी प्रवर्त्तिनी पद के लिए योग्य होती है। 15 सामान्य रूप से जो आचार कुशल, प्रवचन प्रवीण, असंक्लिष्ट चित्त वाली एवं स्थानाङ्ग, समवायाङ्ग आदि सूत्रों की ज्ञाता हो वह साध्वी प्रवर्त्तिनी पद के योग्य है। अयोग्य को प्रवर्त्तिनीपद देने से लगने वाले दोष आचार्य हरिभद्रसूरि कहते हैं कि जो साध्वी यथोक्त गुणों से हीन हो, उसे प्रवर्त्तिनी पद पर स्थापित करने से आज्ञाभंग, अनवस्था, मिथ्यात्व, संयम
SR No.006244
Book TitlePadarohan Sambandhi Vidhiyo Ki Maulikta Adhunik Pariprekshya Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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