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218...पदारोहण सम्बन्धी विधि रहस्यों की मौलिकता आधुनिक परिप्रेक्ष्य में
48. वही, गा. 2003 49. वही, गा. 1370 50. वही, गा. 1371 51. वही, गा. 2560, 2566
दशवैकालिकसूत्र, 9/1/11 53. वही, 9/3/1 54. व्यवहारभाष्य, गा. 2002 55. वही, गा. 1399 56. दशवैकालिकसूत्र, 9/3/13 57. ओघनियुक्ति, 609 58. व्यवहारभाष्य, 2672-73 59. दशवैकालिकसूत्र, 9/1/13 60. स्थानांगसूत्र, 5/2/196 7/81 61. व्यवहारभाष्य, 2674-2676, 2679-83 62. व्यवहारसूत्र, संपा. मधुकरमुनि, पृ. 378 63. स्थानांगसूत्र, 5/2/167 64. आयार-विणए चउव्विहे पण्णत्ते, तं जहा -
(i) संयम सामायारी यावि भवइ, (ii) तव सामायारी यावि भवइ, (ii) गण सामायारी यावि भवइ, (iv) एकल्लविहार सामायारी यावि भवइ,
दशाश्रुतस्कन्ध, संपा. मधुकरमुनि, 4, पृ. 27 65. सुय-विणए चउब्विहे पण्णत्ते, तं जहा - (i) सुत्तंवाएइ (ii) अत्थं वाएइ (iii) हियं वाएइ (iv) निस्सेसं वाएइ।
वही, 4, पृ. 27. 66. विक्खेवणा-विणए चउब्विहे पण्णत्ते, तं जहा -
(i) अदिट्ठधम्म दिट्ठ- पुव्वगत्ताए विणयइत्ता भवइ, (ii) दिट्ठपुव्वगं साहम्मियत्ताए विणयइत्ता भवइ, (iii) चुय धम्माओ धम्मे ठावइत्ता भवइ, (iv) तस्सेव धम्मस्स हियाए, सुहाए, खमाए, निस्सेयसाए .... भवइ।
वही, 4/पृ. 28