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________________ 208...पदारोहण सम्बन्धी विधि रहस्यों की मौलिकता आधुनिक परिप्रेक्ष्य में निमित्त मुख्य रूप से ईशान कोण में मण्डल बनाने, प्रमाणोपेत वेदिका की रचना करने एवं मण्डल आलेखन करने का निर्देश दिया गया है। साथ ही अभिजित नक्षत्र एवं उसके अनुकूल चन्द्र में यह विधि करें, ऐसा कहा गया है। इसी के साथ दिक्पालों को बलि दें। आचार्य पदग्राही शिष्य दश या बारह दिन खीर का भोजन करते हुए नमस्कार मन्त्र का निरन्तर जाप करें। लग्न दिन की पूर्व सन्ध्या में एक कालग्रहण लें। दूसरे दिन शुद्ध काल का प्रवेदन करें। स्वाध्याय की प्रस्थापना करें। फिर मण्डल आदि की रचना करें। तदनन्तर पवित्र जलों के द्वारा शिष्य का अभिषेक करें। इनमें क्रमशः दीमक द्वारा बाहर निकाली गयी मिट्टी, पर्वत की मिट्टी, हाथी के दाँतों से उद्धृत की गयी मिट्टी, दो नदियों के संगम की मिट्टी आदि से अभिषेक करें। फिर पंचामृत से अभिसिंचित करें। फिर क्रमशः वासचूर्ण, चन्दन, कषायचूर्ण और सर्वगन्धों से अभिषेक करें। फिर आचार्य द्वारा अभिमन्त्रित जल से स्वयं के शरीर शुद्धि की जाये, ऐसा वर्णन किया गया है। उसके बाद अनुयोग एवं गणानुज्ञा के निमित्त चैत्यवन्दन करें। श्रुतदेवता आदि के कायोत्सर्ग करें। नन्दिसूत्र सुनें । आचार्य जिनप्रतिमा के चरणों में वासचूर्ण का क्षेपण करें। फिर नवीन आचार्य के मस्तक पर गोरस, अक्षत, पुष्प चूर्ण से युक्त वास का क्षेपण करते हुए कहें "मैं इस मुनि को अनुयोग लक्षण के योग्य जानता हूँ, अतः पूर्व पुरुषों के हाथ से (अनुमति से) द्रव्य-गुण पर्यायों द्वारा व्याख्या करने की अनुज्ञा देता हूँ।” फिर शिष्य वन्दन पूर्वक प्रवेदन करें और प्रदक्षिणा के समय वासचूर्ण को स्वीकार करते हुए अनुयोग की अनुज्ञा प्राप्त करें। फिर अनुयोग के स्थिरीकरण निमित्त आचार्य - शिष्य दोनों कायोत्सर्ग करें। मुख्य आचार्य लग्नवेला में कुम्भक योग ( श्वास को रोकने) पूर्वक शास्त्रों में लिखा गया परम्परागत आचार्यमन्त्र सुनाएं। फिर अक्ष की तीन मुट्ठियां दें। - तदनन्तर छत्र, चामर, हाथी, घोड़ा, शिबिका आदि राजा योग्यचिह्न, योगपट्टक, खटिका (खड़िया), पुस्तक, अक्षसूत्र और पादुका दें। अपनी शाखा के अनुरूप नामकरण करें। फिर सहवर्ती मुनियों के साथ नूतन आचार्य को द्वादशावर्त्त वन्दन करके गण समर्पित करते हुए उन्हें कुछ अधिकार दें जैसेआज से तुम्हें दीक्षा-प्रतिष्ठा आदि करने - करवाने की अनुज्ञा है। फिर नूतन आचार्य यथाशक्ति नन्दी आदि का व्याख्यान करें। फिर मुख्य आचार्य नवीन
SR No.006244
Book TitlePadarohan Sambandhi Vidhiyo Ki Maulikta Adhunik Pariprekshya Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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