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________________ आचार्य पदस्थापना विधि का शास्त्रीय स्वरूप... 205 हे अप्रमत्त ! साध्वियों के संसर्ग को अग्नि- विष की भाँति जानकर वर्जित करना । जो मुनि आर्यिकाओं का संग करता है वह शीघ्रमेव निन्दनीय स्थान को प्राप्त हो जाता है। यद्यपि इन आर्यिकाओं में भी सुविहित मार्ग का प्रवर्त्तन करना, क्योंकि ये भी तुम्हारी अन्तेवासिनी हैं। मुनि संघ में सारणा - वारणा - चोयणा आदि की शिक्षा निरन्तर देते रहना। शिष्यों द्वारा विपरीत बर्ताव किये जाने पर भी क्रोध मत करना। जो तुम्हारे से अल्पवयस्क हैं, समानवयस्क हैं या अल्पश्रुती हैं उनका कभी भी तिरस्कार मत करना। इन प्रभूत गुणों से ही तुम आचार्य को दृढ़ और पूज्य बना सकते हो । मोक्षार्थियों के लिए तुम ही श्रेष्ठ उपाय हो क्योंकि गुरु ही श्रेष्ठ आधार होते हैं। अब, तुम्हें अधिक क्या कहा जाये ? सर्वप्रकार से योग्य बनाकर महान पद पर स्थापित कर चुका हूँ। अन्ततः उपशान्त और विनीत बनना, यही मेरे उपदेश का सार है। शेष विधि - हितशिक्षा के बाद मुख्य आचार्य एवं नूतन आचार्य दोनों ही अनुयोग के विसर्जनार्थ अन्नत्थसूत्र बोलकर एक लोगस्स का कायोत्सर्ग करें। कायोत्सर्ग पूर्णकर प्रकट में लोगस्ससूत्र बोलें। फिर दोनों ही आचार्य काल का प्रतिक्रमण करें। इसमें काल के प्रतिक्रमणार्थ पूर्ववत ही लोगस्ससूत्र का कायोत्सर्ग करें। उसके बाद सौभाग्यवती नारियां आरती आदि उतारें। तदनु नूतन आचार्य के ऊपर छत्र धारण करवाते हुए संघ सहित महोत्सव पूर्वक उपाश्रय में जाएं। वहाँ नूतन आचार्य गुरुमुख से आयंबिल अथवा उपवास का प्रत्याख्यान करें। इस समय साधुवर्ग नूतन आचार्य को उपकरण और पुस्तक आदि भेंट करते हैं। यथाशक्ति संघ प्रभावना की जाती है । संघपूजा और प्रभु पूजा आदि के कार्य श्रावक अधिकार सम्बन्धी हैं। इसीलिए श्रावक वर्ग को अष्टाह्निका आदि महोत्सव करना चाहिए। पद स्थापना के दिन नवीन आचार्य को भोजन के लिए चौकी रखने, तीन कम्बल परिमाण का आसन बिछाने और पीठ के पीछे फलक रखने की अनुमति भी दी जाती है। तपागच्छ आम्नायवर्ती सभी समुदायों में आचार्य पदस्थापना की विधि सामान्य अन्तर के साथ पूर्ववत ही प्रचलित है। 15 152
SR No.006244
Book TitlePadarohan Sambandhi Vidhiyo Ki Maulikta Adhunik Pariprekshya Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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