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________________ 200...पदारोहण सम्बन्धी विधि रहस्यों की मौलिकता आधुनिक परिप्रेक्ष्य में द्वारा पूछे जाने पर गुरु कहें - "खमासमणाणं हत्येणं सुत्तेणं अत्येणं तदुभयेणं अणुओगो अणुण्णाओ अणुण्णाओ अणुण्णाओ। सम्म धारणीओ, चिरं पालणीओ, अन्नेसिं च पवेयणिओ" गुरु परम्परा से प्राप्त सूत्र, अर्थ एवं सूत्रार्थ द्वारा अनुयोग की अनुज्ञा दी गयी है- इतना वाक्य तीन बार बोलें। साथ ही इस पद को सम्यक रूप से धारण करना, चिरकाल तक इसका पालन करना और अन्य मुनियों में भी इस पद का प्रवर्तन करना। इतना कहते हुए शिष्य के मस्तक पर वास का निक्षेप करें। 3. तत्पश्चात शिष्य तीसरी बार खमासमण देकर कहें - "तुम्हाणं पवेइयं, संदिसह साहूणं पवेएमि" मैंने अनुयोग की अनुज्ञा के सम्बन्ध में आपको प्रज्ञप्त किया, अब साधुओं (चतुर्विध संघ) को उस विषयक जानकारी देने की अनुमति दें। गुरु कहे – 'पवेयह' तुम सकल संघ के समक्ष अनुयोग अनुज्ञा का प्रवेदन करो। उसके बाद रजोहरण के द्वारा भूमि की प्रमार्जना करते हुए एवं प्रत्येक बार चार-चार नमस्कारमन्त्र का उच्चारण करते हुए और चारों दिशाओं में गुरुसहित समवसरण को प्रणाम करते हुए तीन प्रदक्षिणा दें। प्रदक्षिणा के समय तीनों बार उपस्थित संघ नवीनाचार्य के मस्तक ऊपर अक्षत उछालें। 4. तदनन्तर नूतन आचार्य चौथी बार खमासमण देकर कहें "तुम्हाणं पवेइयं, साहूणं पवेइयं, संदिसह काउस्सग्गं करेमि?" मैंने अनुयोग अनुज्ञा के बारे में आपको प्रज्ञप्त किया, चतुर्विध संघ को प्रज्ञप्त किया, अब आपकी अनुमति पूर्वक कायोत्सर्ग करूँ? गुरु कहे - 'करेह'।149 5. फिर शिष्य पांचवाँ खमासमण देकर कहें "दव्व-गुण-पज्जवेहि अणुओग अणुण्णानिमित्तं करेमि काउस्सग्गं, अन्नत्थसूत्र" बोलकर एक लोगस्ससूत्र का कायोत्सर्ग करें। कायोत्सर्ग पूर्णकर प्रकट में लोगस्ससूत्र बोलें। आसनदान - तत्पश्चात गुरु सूरिमन्त्र से आसन को अभिमंत्रित करें। फिर नवीनाचार्य एक खमासमण देकर कहें - "इच्छाकारेण तुम्भे अम्हं निसिज्जं समप्येह" - हे भगवन् ! आपकी इच्छा हो, तो मुझे आसन प्रदान करें। तब गुरु-शिष्य के मस्तक पर वासचूर्ण डालकर तीन कम्बल परिमाण आसन अर्पित करें। उसके बाद नवीनाचार्य आसनसहित समवसरण और गुरु की प्रदक्षिणा दें।
SR No.006244
Book TitlePadarohan Sambandhi Vidhiyo Ki Maulikta Adhunik Pariprekshya Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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