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176...पदारोहण सम्बन्धी विधि रहस्यों की मौलिकता आधुनिक परिप्रेक्ष्य में ___ (i) अवग्रहमति सम्पदा - जो पदार्थ के सामान्य अर्थ को जानने वाले हो। अवग्रहमति के छह प्रकार हैं/8_
• क्षिप्र अवग्रहण - शिष्य के उच्चारण मात्र से शुद्धाशुद्धि को ग्रहण कर लेने वाले हो।
• बहु अवग्रहण - एक साथ बहुत-सा ग्रहण कर लेने वाले हो, जैसेपांच सौ, सात सौ श्लोकों को एक साथ ग्रहण कर लेना।
• बहुविध अवग्रहण - अनेक व्यक्तियों द्वारा उच्चारित शब्दों को एक साथ ग्रहण कर लेने वाले हो।
.ध्रुव अवग्रहण - चिरकाल तक विस्मृत न करते हो।
• अनिश्रित अवग्रहण - पुस्तक, श्रवण आदि का सहारा लिए बिना ग्रहण करते हो।
• असन्दिग्ध अवग्रहण - किसी वस्तु के अर्थ को शंका रहित होकर ग्रहण करते हो।
ईहा और अवाय के भी ये ही छ:-छ: भेद हैं।
(ii) ईहामति सम्पदा - सामान्य रूप से जाने हुए अर्थ को विशेष रूप से जानने की इच्छा रखने वाले हो। ___(iii) अवायमति सम्पदा - प्रत्येक पदार्थ के सामान्य और विशेष गुणों को समझकर सम्यक निर्णय करने वाले हो।
(iv) धारणामति सम्पदा - निर्णीत अर्थ को लम्बे समय तक स्मृति में रखने वाले हो।
दशाश्रुतस्कन्ध में धारणामति के भी छह प्रकार कहे गये हैं।9• बहुधारण - बहुत अर्थ को धारण करने वाले हो।
• बहुविधधारण - अनेकविध श्रुत पाठों या अर्थों को एक साथ धारण करने वाले हो।
• पुराणधारण - पूर्व पठित पाठों को धारण करने वाले हो। • दुर्धरधारणा - कठिन से कठिन अर्थ को धारण करने वाले हो।
• अनिश्रित धारण – बिना किसी अन्य आलम्बन के स्वयं ही इष्ट अर्थ को धारण करने वाले हो।
• असन्दिग्धधारण - पठित अर्थ को सन्देह रहित होकर अवधारण करने वाले हो।