SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 107
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वाचना दान एवं ग्रहण विधि का मौलिक स्वरूप...49 12. तओ कप्पंति वाइत्तए, तं जहा1. विणीए 2. नो विगइ पडिबद्धे 3. विओसविय पडिबद्ध। बृहत्कल्पसूत्र, 4/11 13. तओ सुसन्नप्पा पण्णत्ता, तं जहा. 1. अदुढे 2. अमूढे 3. अवुग्गाहिए। बृहत्कल्पसूत्र, संपा. मधुकरमुनि, 4/13 14. उत्तराध्ययनसूत्र, 11/4-5 15. पंचवस्तुक, 973 16. आचारदिनकर, पृ. 110 17. विधिमार्गप्रपा, पृ. 187 18. आचारदिनकर, भा.1, पृ. 110 19. संगहु वग्गह निज्जर, सुतपज्जव जायमव्ववच्छित्ती। पणगमिणं पुव्वुत्तं, जे चायहितोपलं भादी। व्यवहारभाष्य, मुनि दुलहराज, गा. 1785 20. पंचवस्तुक, 974-979 21. बृहत्कल्पभाष्य, 5201-5203, 5204, 5206, 5208, 5209 22. निशीथभाष्य, 6221, 6230 23. वही, 3233 24. पंचवस्तुक, 981-983 25. विशेषावश्यकभाष्य, गा. 1457 26. निशीथभाष्य, 6234-6236 27. स्थानांगसूत्र, सं. मधुकरमुनि, 5/3/223 28. वही, 5/3/224 29. सिक्खा दुविहा, तं जहा- गहणसिक्खा आसेवणा सिक्खा। ___दशवैकालिक जिनदासचूर्णि, पृ. 209 30. आवश्यकचूर्णि, भा. 2, पृ. 157-158 मूअं हुंकारं वा, बाढंकार पडिपुच्छ वीमंसा। तत्तो पसंगपारायणं, च परिणिट्ठा सत्तमए । (क) नन्दीसूत्र, सं. मधुकरमुनि, 115/4 (ख) विशेषावश्यकभाष्य, गा. 565
SR No.006244
Book TitlePadarohan Sambandhi Vidhiyo Ki Maulikta Adhunik Pariprekshya Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy