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Ix ... जैन मुनि की आहार संहिता का समीक्षात्मक अध्ययन
विषयानुक्रमणिका
अध्याय - 1 : भिक्षा विधि का स्वरूप एवं उसके प्रकार
1-19
1. भिक्षाचर्या के विभिन्न अर्थ 2. भिक्षाचर्या के एकार्थक पर्यायवाची 3. भिक्षा प्राप्ति के प्रकार 4. भिक्षा गमन के प्रकार 5. भिक्षा के अन्य प्रकार 6. भिक्षा शुद्धि की नवकोटियाँ 7. भिक्षार्थ भ्रमण एवं भिक्षा सेवन करने वाले मुनि की उपमाएँ 8. आहार के प्रकार 9. आहार सेवन के प्रकार |
अध्याय - 2 : भिक्षाचर्या की उपयोगिता एवं उसके रहस्य 20-36
1. आहार ग्रहण के उद्देश्य 2. आधुनिक परिप्रेक्ष्य में भिक्षाटन की प्रासंगिकता 3. भिक्षाचर्या सम्बन्धित विधि-विधानों के रहस्य • भिक्षाचर्या के लिए अभिग्रह धारण करना आवश्यक क्यों ?
• उपाश्रय में प्रवेश करने से पूर्व पाँव प्रमार्जना क्यों ? • मुनि शुद्ध और सात्विक आहार ही ग्रहण क्यों करें ? • मुनि के लिए निर्दोष आहार का विधान क्यों? • प्रथम भिक्षाचर्या हेतु शुभ दिन आवश्यक क्यों ? • भिक्षाटन से पूर्व उपयोग विधि किसलिए ? • भिक्षाचर्या सम्बन्धी आलोचना दो बार क्यों ? • आहार हेतु निमंत्रण क्यों दिया जाए ? • भोजन मंडली की आवश्यकता क्यों? • श्रमण का आहार गुप्त क्यों ? • आहार के लिए मध्याह्न काल श्रेष्ठ क्यों बताया गया? • दिगम्बर मुनि खड़े-खड़े एवं करपात्री में भोजन क्यों करते हैं ? • एक चौके में एक से अधिक साधु एक साथ आहार ले सकते हैं? • चौके के बाहर से लाया गया आहार ग्राह्य है या नहीं ? • एकल भोजी का आहार उत्कृष्ट कैसे ?
अध्याय - 3 : वर्तमान युग में भिक्षाचर्या का औचित्य एवं उसके नियमोपनियम
37-89
1. भिक्षाचर्या योग्य मुनि के लक्षण 2. शुद्ध पिण्ड का अधिकारी कौन ? 3. आहार ग्रहण का समय 4. आहार के लिए उचित स्थान 5. आहार का