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240... जैन मुनि की आहार संहिता का समीक्षात्मक अध्ययन
लेकर भिक्षार्थ गया। उसने किसी कौटुम्बिक के घर में प्रवेश किया। साधु ने वहाँ पर्याप्त सेवई देखी। वह प्रचुर घी और गुड़ से संयुक्त थी। साधु ने अनेक वचोविन्यास पूर्वक सुलोचना नामक गृहिणी से सेवई की याचना की। गृहस्वामिनी ने साधु को भिक्षा देने के लिए सर्वथा प्रतिषेध करते हुए कहा- ' मैं तुमको कुछ भी नहीं दूंगी।' तब क्रोध पूर्वक क्षुल्लक मुनि ने कहा- 'मैं निश्चित्त रूप से घी और गुड़ से युक्त इस सेवई को ग्रहण करूंगा।' क्षुल्लक के वचनों को सुनकर सुलोचना भी क्रोधावेश में आकर बोली-'यदि तुम इस सेवई को किसी भी प्रकार प्राप्त करोगे तो मैं समझूगी कि तुमने मेरे नासापुट में प्रस्रवण किया है।' तब क्षुल्लक ने सोचा-'मुझे अवश्य ही इस घर से सेवई प्राप्त करना है।' दृढ़ निश्चय करके वह घर से निकला और पार्श्व के किसी व्यक्ति से पूछा-'यह किसका घर है?' व्यक्ति ने बताया कि यह विष्णु मित्र का घर है। क्षुल्लक ने पुन: पूछा कि वह विष्णु मित्र इस समय कहां है? व्यक्ति ने उत्तर दिया-'वह अभी परिषद् के बीच है।'
क्षुल्लक ने परिषद् के बीच में जाकर पछा-'तम लोगों के बीच में विष्णमित्र कौन है?' लोगों ने कहा-'विष्णमित्र से आपको क्या प्रयोजन है?' साधु ने कहा-'मैं उससे कुछ याचना करूँगा।' विनोद करते हुए उन्होंने कहा'वह बहुत कृपण है अत: आपको कुछ नहीं देगा। आपको जो मांगना है, वह हमसे मांगो।' तब विष्णुमित्र ने सोचा कि इतने लोगों के बीच मेरी अवहेलना न हो अत: उनके सामने बोला-'मैं ही विष्णुमित्र हूँ मुझसे कुछ भी मांगो।'
तब क्षुल्लक बोला-'यदि तुम छह प्रकार के महिला आधीन व्यक्तियों में से नहीं हो तो मैं याचना करूंगा।' तब परिषद् के लोगों ने पूछा-'वे छह महिला प्रधान पुरुष कौन हैं? क्षुल्लक ने कहा कि उन छह पुरुषों के नाम इस प्रकार हैं1. श्वेताङ्गलि 2. बकोड्डायक 3. किंकर 4. स्नायक 5. गृध्रइवरिडी और 6. हदज्ञ। इस प्रकार क्षुल्लक द्वारा छहों व्यक्तियों का वर्णन सुनकर परिषद् के लोगों ने अट्टहास करते हुए कहा- 'इसमें छहों पुरुषों के गुण हैं इसलिए इस महिला प्रधान पुरुष से मांग मत करो।' विष्णुमित्र18 बोला-'मैं इन छह पुरुषों के समान नहीं हूँ अत: तुम मांग करो।' उसके आग्रह पर क्षुल्लक बोला-'मुझे घृत
और गुड़ संयुक्त पात्र भरकर सेवई दो।' विष्णुमित्र बोला- मैं तुमको यथेच्छ सेवई दूंगा।' तब वह विष्णुमित्र क्षुल्लक को लेकर अपने घर की ओर गया। घर