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जैन मुनि की आचार संहिता का सर्वाङ्गीण अध्ययन...li पन्द्रहवाँ अध्याय अंतिम संस्कार विधि से सन्दर्भित है। इसमें शास्त्रीय विधिपूर्वक मृत श्रमण देह को परिष्ठापित करने एवं तत्सम्बन्धी निर्देशों का सोद्देश्य विवेचन किया गया है। इसी के साथ वर्तमान परम्परा में प्रचलित अन्त्य संस्कार विधि भी दर्शाई गई है। प्रस्तुत विधि का ऐतिहासिक एवं तुलनात्मक पक्ष भी उद्घाटित किया गया है।
इस प्रकार प्रस्तुत शोध कृति में जैन मुनि की आचार संहिता से सम्बन्धित लगभग सभी विधि-नियमों का सटीक एवं प्रामाणिक विवेचन किया गया है।
अन्ततः इस ग्रन्थ का मनोयोगपूर्वक आलोड़न करते हुए गृहस्थ एवं नव दीक्षित साधु-साध्वी वर्ग, श्रमण धर्म के सैद्धान्तिक और आगमिक चर्याओं का भलीभाँति बोध कर सकें। आज के भोग प्रधान युग में योग मार्ग की महत्ता समझकर उसका अनुसरण कर सकें। वर्तमान में श्रमणाचार पालन हेतु दुरुह हो रही परिस्थितियों का निराकरण करते हुए सत्य मार्ग पर आरूढ़ हो सकें ऐसी आन्तरिक अभिलाषा के साथ।