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344...जैन मुनि की आचार संहिता का सर्वाङ्गीण अध्ययन आये उसे ऊपर की दूसरी संख्या से गुणा करके गुणनफल नीचे लिखें। फिर उसे नीचे की तीसरी संख्या से भाग दें तथा जो भागफल आये उसे ऊपर की तीसरी संख्या से गुणा करके नीचे लिखें। इस तरह अनुक्रम से करते जायें। इस विधि के द्वारा जितने संयोगी भांगे बनाने हों, वह संख्या आ जाती है।' संयोगी भांगे का कोष्ठक | संयोगी ।1 12 13 14 15 16 17 18 191101 पश्चानुक्रम | 10/9/8 | 7 | 6 | 5 | 4 | 3 | 2 | 1 गुणनफल | 1 |10 | 45 | 120 | 210/252 | 210 | 120 | 45 | 10 | | या भांगा | | | | | | | |
स्पष्ट यह है कि यहाँ नीचे की पंक्ति के 1 अंक को ऊपर के 10 के साथ गुणा करके नीचे रखें। फिर 2 से 10 में भाग देकर जो भागफल आये, उसे 2 के नीचे के अंक 9 से गुणा कर गुणनफल 45 को उसके नीचे रखें। इस प्रकार नीचे की संख्या से पूर्व के गुणनफल को भाग देना और भागफल से ऊपर की संख्या का गुणा करना-इस तरह किसी भी संख्या के संयोगी भांगे बनाये जा
सकते हैं।
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1024 भांगे का कोष्ठक
1 संयोगी 2 संयोगी 45 3 संयोगी 120 4 संयोगी 210 5 संयोगी 252 6 संयोगी 210 7 संयोगी
120 8 संयोगी 45 9 संयोगी 10 संयोगी
1024 भांगा
इनमें 1023 भांगे अशुद्ध स्थंडिल भूमि से सम्बन्धित हैं और 1 भांगा शुद्ध स्थंडिल का है।
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