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________________ जैन मुनि के सामान्य नियम...99 16. गृहनिषद्या वर्जन- भिक्षा के लिए प्रविष्ट हुआ साधु गृहस्थ के घर कभी भी न बैठे, यह सोलहवाँ आचार स्थान है। गृहस्थ के घर बैठने से अनाचार की संभावना, अबोधिकारक फल (मिथ्यात्व) की प्राप्ति, ब्रह्मचर्य के आचरण में विपत्ति, प्राणियों का वध होने से संयम का घात, भिक्षाचरों को अन्तराय और घर वालों को क्रोध उत्पन्न हो सकता है अतः गृहनिषद्या का निषेध किया गया है।57 ___ अपवादत: भिक्षार्थ गया हुआ साधु रोगी, उग्र तपस्वी या वृद्धावस्था से पीड़ित हो, तो वह कदाचित हांफने लगे या थक जाए तो गृहस्थ के यहाँ घर के लोगों से अनुज्ञा माँगकर अपनी थकान मिटाने या विश्राम लेने हेतु थोड़ी देर तक विवेकपूर्वक बैठ सकता है। यह अपवाद विधि है। ___ 17. स्नान वर्जन- साधु रोगी हो या निरोगी, उसे कभी भी स्नान की इच्छा नहीं करनी चाहिए। यह सत्तरहवां आचार है। संयमी मुनि के लिए स्नान का निषेध निम्न दोषों की सम्भावनाओं को लेकर किया गया है इससे आचार का अतिक्रमण होता है, क्योंकि अस्नान साधु के लिए यावज्जीवन का आचार है वह भंग हो जाता है। संयम की विराधना होती है, क्योंकि स्नान का पानी बहने से अनेक सूक्ष्म त्रस प्राणियों की हिंसा होने की सम्भावना रहती है। पोली भूमि में और दरार वाली भूमि में स्नान का बहता हुआ पानी घुस जाए तो वहाँ पर रहने वाले अनेक सूक्ष्म जीवों की विराधना होती है।58 ___18. विभूषा वर्जन- मुनि शरीर की शोभा बढ़ाने के लिए गन्ध चूर्ण, कल्क, लोध्र, पद्मकेसर आदि का उबटन न करें। यह अठारहवाँ आचार है। दशवैकालिकसूत्र में विभूषा वर्जन का कारण बताते हुए कहा गया है कि इससे देहभाव बढ़ता है, जिसके फलस्वरूप शरीर पर ममता-मूर्छा बढ़ती है, आवश्यकताएँ बढ़ जाती हैं और चारित्रिक नियमों में शिथिलता आती है। अहर्निश शरीर सज्जा पर ध्यान रहने से चित्त भ्रान्त रहता है और स्वाध्याय, ध्यान आदि आवश्यक दिनचर्या से मन हट जाता है। विभूषा के लिए आरम्भसमारम्भयुक्त साधनों का उपभोग करना असंयम वर्द्धक एवं सावध बहुल है तथा विभूषा द्वारा शरीर के प्रति आसक्ति अभिवृद्ध होने से चिकने कर्मों का बंधन होता है।59
SR No.006242
Book TitleJain Muni Ki Aachar Samhita Ka Sarvangin Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & D000
File Size32 MB
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