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श्रमण का स्वरूप एवं उसके विविध पक्ष...65
91. उत्तराध्ययनसूत्र, 24/11 92. वही, 24/13,14 93. वही, 24/15 94. स्थानांगसूत्र, 5/3/203 95. समवायांगसूत्र, समवाय 5 96. उत्तराध्ययनसूत्र, 24वां अध्ययन 97. प्रवचनसारोद्धार, गा. 571 98. तत्त्वार्थसूत्र, 9/6 99. नवतत्त्वप्रकरण, गा. 26 100. भाव्यत इति भावना ध्यानाभ्यासक्रियेत्यर्थः।
आवश्यक हारिभद्रीय टीका, भाग 2, पृ. 62 101. प्रवचनसारोद्धार, 572-573 102. योगशास्त्र, 4/81-85 103. उत्तराध्ययनसूत्र, 3/1 104. आवश्यकनियुक्ति, गा. 351 105. स्थानांगसूत्र, 4/1/68,72 106. तत्त्वार्थसूत्र, 7/6 107. योगशतक, 79 108. सामायिकपाठ, 2 109. योगशास्त्र, 4/117 110. अभिधानराजेन्द्रकोष, भाग-5, पृ. 1506 111. बृहत्कल्पभाष्य, गा. 1293 112. बारसाणुपेक्खा , गा. 1-86 113. मूलाचार, 8/694-764 114. बृहद्रव्यसंग्रह, पृ. 81-114 115. ज्ञानार्णव, द्वितीय सर्ग 116. योगशास्त्र, 4/55-86 117. कार्तिकेयानुप्रेक्षा, गा. 1-488 118. शांतसुधारस