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136...जैन मुनि के व्रतारोपण की त्रैकालिक उपयोगिता सायंकालीन विधि ___ वसति संशोधन विधि - प्रात: काल के समान वसति निरीक्षण कर गुरु से निवेदन करें। फिर ईर्यापथिक प्रतिक्रमण करें। फिर शिष्य - खमा. इच्छा. संदि. भगवन्! वसति पवेवा मुहपत्ति पडिलेहं ? गुरु - पडिलेहेह। शिष्य - इच्छं। योगवाही शिष्य मुखवस्त्रिका का प्रतिलेखन करें। फिर दो वांदणा दें। शिष्य - खमा. इच्छा. संदि. भगवन्! वसति संदिसाहुं ? गुरु - संदिसावेह। शिष्य - इच्छं। शिष्य - खमा. भगवन् सुद्धावसहि! गुरु - तहत्ति। शिष्य - इच्छं। शिष्य - खमा. इच्छा. संदि. भगवन्! बहुपडिपुण्णापोरिसी। गुरु - तहत्ति। पुन: ईर्यापथिक प्रतिक्रमण करें।
प्रतिलेखन विधि- शिष्य - खमा. इच्छा. संदि. भगवन्! पडिलेहण करूँ ? गुरु - करेह। शिष्य - इच्छं। शिष्य - खमा. इच्छा. संदि.भगवन्! वसहिं पमज्जेमि? गुरु- पमज्जेह। शिष्य - इच्छं। शिष्य मुखवस्त्रिका का प्रतिलेखन करें। शिष्य - खमा. इच्छा. संदि. भगवन्! अंगपडिलेहण संदिसाहं ? गुरु - संदिसावेह। शिष्य - इच्छं। मुखवस्त्रिका का प्रतिलेखन करें। शिष्य - खमा. इच्छा. संदि. भगवन्! इरियावहियं पडिक्कमामि ? गुरु - पडिक्कमेह। शिष्य - इच्छं। फिर ईर्यापथिक प्रतिक्रमण करें। शिष्य - खमा. इच्छकारी भगवन् पसायकरी पडिलेहण पडिलावोजी। गुरु - पडिलेहेह। शिष्य - इच्छं। शिष्य - खमा. इच्छा. संदि. भगवन्! उपधि मुहपत्ति पडिलेहं ? गुरु - पडिलेहेह। शिष्य - इच्छं। योगवाही शिष्य मुखवस्त्रिका का प्रतिलेखन करें। शिष्य – खमा. इच्छा. संदि. भगवन्! सज्झाय संदिसाहुं ? गुरु- संदिसावेह। शिष्य - इच्छं। शिष्य – खमा. इच्छा. संदि. भगवन्! सज्झाय करूं ? गुरु – करेह। शिष्य - इच्छं।
गुरु एक नमस्कारमन्त्र बोलकर दशवैकालिकसूत्र के प्रथम अध्ययन की 'धम्मोमंगल' आदि पाँच गाथाएँ बोलकर पुन: एक नमस्कारमन्त्र बोलें।
सूत्र मण्डली निक्षेप (बाहर निकलने की) विधि- शिष्य - खमा. इच्छा. संदि. भगवन् सुत्त मण्डली तवं निक्खिवह? गुरु - निक्खिवामो। शिष्य - इच्छं। शिष्य - खमा. इच्छा. संदि. भगवन् सुत्त मण्डली तवं निक्खिवणत्थं काउस्सग्गं करूँ? गुरु - करेह। शिष्य - इच्छं। शिष्य - खमा. इच्छा. संदि. भगवन् सुत्त मण्डली तवं निक्खिवणत्थं करेमि काउसग्गं,